SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिगंबर जैन. चढाइ करी, त्यारे ते राजाए शकटने बंध मुक्त करी तेनी सलाह पुछी, त्यारे शकटे "राजाने केद न करो, हुं सैन्मने पार्छ मोकलावु छु' एवु कही पोते परसैन्यना सेनापतिने मळी नन्द तरफनी दहेशत तेना मनमा नगाडी अने नन्दनु सैन्यवळ चतावी ते सैन्यने पाछु मोकलाव्यु, त्यारे राजाए पुनः तुष्ट थई सचिन--पद तने आपवा माङयु. जवावमां शकटे कयु के ने पढवीथी मारी कुटुबीय मंडली मरण पामी, ते पदवीज मारे जोईए नहि. पछी ते पोते संतुष्ट थई राजानी पासेज रह्यो. ___ पछी ते एक वखत फरतो हतो, त्या रस्तामां एक चाणक्य नामना द्विनने दर्भ खणतो जोई तेने पुच्यु--"उगेला दर्भने शा माटे खणे छेा त्यारे चाणक्ये उत्तर आप्यो के तेनुं कारण ए छे के मारे फो वाग्यु तेथी हुँ तेने खणु छु, कारण के आपणने दु ख देनारने निर्वश करवो तेज उचित्छे." आ बात शकटने गमी. जेणे आपणा कुटुंबनो नाश कर्यो ते नंद राजानोज निर्वश करवो एवो घाट तेणे घडयो. आ कार्य माटे तेणे चाणक्यने पोताने आश्रये राख्यो. पछी शकट अने चाणवय बनेए परराजा तरफ गमन कयें अने ते रानाथी नंदनो 'पराभव कर्यो अने चाणक्ये लावेला चद्रगुप्तने नंदनी गादीपर बेसाडयो. आ प्रमाणे बोलेला वचन खरां को अने पछी संसार
SR No.010458
Book TitleKundkundacharya Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy