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________________ दिगबर जैन. विचारवा माटे 'तारो गुरु वताव" एम सामाने का, तेथी ते माणस ते विद्वान् पण मानी द्विजने श्रीमहावीरस्वामी समक्ष लई गयो. ते द्विज वीतरागमुद्रा जोईने गतमान थई गया अने जैनधर्मनी पूर्ण माहीती मेळवी जैनी बन्या. तरतज तेओए श्री महावीरस्वामीना समोशरणमांनी वार सभामा मुख्य व्याख्यातानी पदवी मेळवी, पछी तेणे ते समामां राजा श्रेणिकने तथा अनेक जीवोने तीर्थकरनी वाणीनो धर्मोपदेश को. महावीरस्वामी निर्वाण पद पाम्या पछी केटलांक वर्ष भरतखडमा फरी धर्मोपदेश करी १२ वर्ष पछी गौतमस्वामीए निर्वाणपद प्राप्त कर्यु. आ पछी सुधर्मास्वामीए तेबीज रीते धर्मोपदेश कयों. आ पछी जंबूस्वामीए तेज कर्तव्य स्वीकार्य. तेमनुं शरीर अति सुंदर हतुं. तेमणे केटलाक दिवस राज्य कर्या पछी दीक्षा लई ३८ वर्षो धर्मोपदेशना काममा गाळ्या. महावीरस्वामी पछी ६२ वर्षमा थई गयेला गौतम, सुधर्मा अने जंबूस्वामीने केवली हे छे, त्यार पछी विष्णुकुमार, नन्दिमित्र, अपराजीत, गोवर्धन अने भद्रबाहु ए पाच विख्यात मुनि थई गया. आने श्रुतकेवळी कहे छे. आ पांच, १०० वर्षमां थई गया एटले श्री महावीरस्वामी पछी १६२ वर्षमा थइ गया. अर्थात् इ. स. पूर्व ३६४ वर्षमा थइ गया. भद्रबाहुना समयमां चंद्रगुप्त राजा थइ गया.
SR No.010458
Book TitleKundkundacharya Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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