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________________ "थोडा दिवस पहेला अहिंयां एक निमित्तिआने लोकोए विचायु, आ भिक्षुक भलो, दीलनो आ वर्षे सुकाळ पडशे के दुकाळ पडशे एम प्रश्न दयाळु छे पोतानामाथी बीजाने आपे छे आथी पुछता, भयंकर दुकाळ पडशे एम जबाब आप्यो लोको तेने वधु आपवा लाग्या. लोकोए तेने भलो वधुमा तेणे कयु हतु के, जो आ वात खोटी अने सत्यवान जाणी थोडी रकम धीरी तेथी पडे तो मारी जीभ खेची काढजो आ वखते तेणे धधो शरू कर्यो पासा सवळा पड्या, पुण्य एनी भविष्यवाणी खोटी पडी आम केम तपवा लाग्यु अने लक्ष्मीनी पूरी महेर थई. धर्म बन्यु ? " अने प्रतिज्ञाना प्रभावे एक भिक्षक पण सारो ___ भूपतीनी वात साभळी लइने ते ज्ञानी मुनि- सुखी थइ गयो वरे समाधान कर्यु के, ते निमित्तिओ साचो छ आवा वखते नियम पाळवो घणो मुष्केल आ वर्षे जरूर दुकाळ पडवानो हतो, पण आ होय छे छता ते नियम पाळवामा अडग रह्यो. नगरीमा एक महान पण्यात्मानो जन्म थयो छे नियम मजब ते कमाणीमाथी चोथो भाग खर्ची एना प्रभावे सुकाळ थयो छे" नाखे छे तेनी कीर्ति चोमेर प्रसरी, _ आ वात साभळी सौने भारे अचवो थयो. दान-पुण्यना प्रभावे ए आत्मा एक शेठने त्या तेओने ए जाणवानी जिज्ञासा थई के, कया जन्म्यो छे आवा महान पुण्यशाली आत्मानो भाग्यशालीना घेर ए भाग्यवाननो जन्म थयो आ नगरीमा जन्म थवाथी, दुकाळ पडवानो हतो छ? पण सुकाळ थयो छे ते महा मुनिवरे एनु नाम ठाम आप्यु अने राजा अने प्रजा आ बात जाणी अत्यत कहयु के, 'पूर्व काळमा आ एक भिक्षुकनो जीव प्रमुदित थया राजाने विचार थयो के, आपणा हतो,अने में एक वखत जैन साधुसमागममा वारसदार तरीके आवा पुण्यशाली आत्माने आव्यो साधु महाराजे एने धर्मनी आराधना राजगादीए बेसाडिए, तो एना प्रभावथी प्रजा करवा उपदेश आप्यो अने कहथु के, भाई । धर्मना प्रभावे सुख साह्यबी अने समृद्धि चरणोमा आनद-चमन करशे अने सुखी थशे, आळोटे छे -स्वर्ग अने मोक्षना सुखो पण धर्मना __ राजाओ ते श्रेष्ठि पुत्रने खूब धामधुमथी प्रभावथी प्राप्त थाय छे आजथी एवी प्रतिज्ञा राज्याभिपेक करी राजा बनाव्यो ज्या सुधी कर के, मने जे मळशे तेनो चोथो भाग हु दान एणे राज्यनु पालन कर्यु त्या सुधी कोई बखत पुण्यमा अने धर्ममा खर्ची नाखीश' दुकाळ पडयो नहि प्रजा सुख शातिथी जीवन भिक्षुके कहा 'गुरुदेव, मारी पासे काइज । गुजारती हती नथी हु तो भिक्षा मागी मारू पेट भरू छु ' ___ आ बधो महिमा छे धर्मनो, पुण्यनो धर्मना ___ महाराजश्रीएतेने समजा व्यु के तने भिक्षामा प्रभावे अने पुण्यना प्रभाव आ लोक अने परलोक एक रोटली मळे तो तेनो चोथो भाग बीजाने सुधरे छे, जीवन आबाद अने उन्नत बने छे माटे आपी देजे, चार रोटली मळे तो एक आपजे, जे धर्मनी आराधनामा जराय प्रमाद के आळस मळे तेनो चोथो भाग आपी देजे ' करवो नही 'जी महाराज | जरूर ह आजथीज आ ___टुकाणमा जेनाथी आत्मानो विकास थाय, प्रतिज्ञा आगीकार करू छु ' भिक्षुके कयु, आत्मानो अभ्युदय थाय अने आत्मानी प्रगति अने ते नियम वरावर पालन कर्यो थाय तेवा कार्यों करवा तत्पर रहेछु भी कुभोजगिरी तान्टि महोत्सव [ २२९
SR No.010457
Book TitleKumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
PublisherKumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publication Year1970
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size3 MB
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