SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 470
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ में पूजा पार 14- 11 Hit in 10 ||शा F ITTIREf.:. SETTINire दोपतiditat! 41, म. मोद EMOREIT Trti नदि . ' ' . स्वात.मगीरोग 11000 सिगाना Mir Time घाटकन पोर मया । जिगुनी ॥ 10॥८॥ SITIमातिापमान निर० घ५-२५ दम्म तोर्य उता । चन दास निकर सादिति ॥ सर तर के 47 सम मनम पवन रें। दीप रतनमय पति पते मई कारें ॥ तह फन उत्तम नर फरिम 'रामचन्द्र' कन पान मरि । शीशान्तिनाय के चरण जुग वम वि मा परि ॥६॥ ही श्री TITमगजिनेतापानापरप्राप्नये अभ्यं नियं० पच कल्याणक अर्य दोहा- सरिय सिधित जये, भाद्रव सप्तमो स्याम । ऐरादे उर अवतर, राज गर्म अमिराम ।। ५ ॥ ही थी भारतामप्तम्यां गमगलमण्डिताय धी शान्तिनाय जिनेन्द्राय अर्घ नियंपामोति स्वाहा । जेठ चतुरदास कृष्णहो, जनम प्रोमगवान । सनपन करि सुरपति ज्जे, मैं जज हूँ धरि ध्यान ॥२॥ ॐही श्री ज्येष्ठाणचतुर्दश्या जन्ममालमडिताय श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy