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________________ जैन्द्र तत्वार्थसूत्र पूजा पट् द्रव्य को जामें कह्यो जिनराज-वाक्य प्रमाण सों। किय तत्व सातों का कथन जिन-आप्त-आगम मान लॉ॥ तत्वाथ-सूत्रहि शास्त्र सो पूजो भविक मन धारि के। लहि ज्ञान तत्व विचार भवि शिव जाभवोदधि पार के॥ दोहा-जामें षट् यहिं कह्यो, क्ह्यो तत्व पुनि सात । सो दश सूत्रहि थापि के. जर्ज कम कटि जात ॥ न्यांवल. टा ॐ हन्द दर व ! न्बाट सुरसरी कर नीरसुलाय के. करि सुप्रासुक कुम्भ भराय के। जजन सूहिंशात्रहिको करो.लहि सुतत्व-ज्ञानहि शिववरो। ॐईन्दर नकद मलयदारू पवित्र मंगायके, पति कपरवरण मिलायकोजा केन्द्रमा चन्दे रनर चन्दन। सुनवशालिसुगंधितलायके,खंड विवर्जित थाल भरायकोजा * ईन्क न् । सुमन वेल चमेलिहिकेवरा,जिनसुगंधदशदिश विस्तरा।ज. होन्नाकरन ।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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