SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 306
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन पूजा पाठ मा शास्त्र-भक्ति अकेला ही हूँ मै करम सब आये सिमटिके। लिया है मैं तेरा शरण अव माता सटकिके ॥ भ्रमावत है मोको-करम दुःख देता जनमका । करो भक्ती तेरी, हरो दुख माता भ्रमणका ॥२॥ दुखी हुआ भारी, भ्रमत फिरता हूँ जगतमे । सहा जाता नाही, अकल घबराई भ्रमणमे ॥ करो क्या मा मोरी, चलत का नाही मिटनका। करो भक्ती तेरी, हरो दु ख माता भ्रमणका ॥ २ ॥ सुनो नाता नोरी, अरज करता हूँ दरदमे । दु खो जानो मौको, डरप कर आयो शरणमे ॥ कृपा ऐसी कोजे, दरद मिट जावै मरणका । करो भक्ती तेरी, हरो दु ख माता भ्रमणका ॥ ३ ॥ पिलावै जो मोको, सुबुधिकर प्याला अमृतका। मिटावै जो मेरा, सरब दुःख सारा फिरनका ॥ पडू पावा तेरे, हसे दुख सारा फिकरका । करो भक्ती तेरी, हरो दुःख माता भ्रमणका ॥ ४ ॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy