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________________ सिपियोग-गुभेदः ॥ ६ ॥ गंगारिणो मुक्ताश्च ॥ १० ॥ गमनागमनमा ॥११॥ गंगारिणसमस्यागः ॥२२॥ विगांजो वाय-बनम्पनयः धागः ॥१३॥ मीन्द्रियाव्य रामाः ॥22॥ पोन्द्रियाणि ॥१५॥ निरिधानि ॥१६॥ निये इन्दिरम् ॥ १७॥ लग्गुपयोगी मापन्नियमा पर्गन-गन-बाय-मतः-श्रोत्राणि ॥१६॥ म्पननगर-शनानाः ।। २० । धगम निन्द्रियम्य ॥२२॥ गनारमन्नानामेन्म ॥२२॥ कगि-पिपीलिका-श्रमर. मनुमानामा दानि ॥२३॥ संशिनः समनम्काः ॥२४॥ निनद-गली फम-योगः ।। २५ ॥ अनुश्रेणि गतिः ॥२६॥ परिग्रहा जीपम्प ॥ २७ ॥ विग्रहवनी २ गंसारिणः प्राक् गनुम्यः॥ २८एनमयाविग्रदा ॥ २९ ॥ एकता प्रान्यानाहार ॥३०॥ समृदन-भोपपाटा जन्म ॥ ३१ ॥ मचिगनीन-गंएता: सेनग मिश्रागन्तपोनयः ।। ३२ ॥ जनजाडज-पीनानां गर्भः ।। ३३ ॥ देवनारमाणामुपपादः ॥ ३४॥ पाणां मम्मन्नम् ।।३५ ॥ औदारिकवरिगयिकाहारमनजत-कार्मणानि शरीराणि ॥ ३६॥ परं परं समम् ॥३७॥ प्रदशनी-संग्ययगुणं प्राक्तजमात् ॥३०॥ अनन्त-गुणे परे ॥३६॥ अप्रतीयाने ॥ ४० ॥ अनादि-गम्बन्धं च ॥ ११॥ मवम्य ॥ १२ ॥ तदादीनि भाज्यानि युगपटकम्मिन्नानतुभ्यः ॥ ४३ ॥ निरुपमोग
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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