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________________ जन पूजा पाठ सग्रह 1८1 - दीपावली पूजा नया वसना दीपावली के दिन सन्ध्या की शुभ बेला व शुभ नक्षत्र मे नीचे लिखी रीति से पूजा करके नई बही का मुहूर्त तथा दीपों की ज्योति करें। कुटुम्ब के अभिभावक या दुकान के मालिक को एकाग्र एवं प्रसन्न चित्त से घर या दुकान के पवित्र स्थान में पूर्व या उचर की ओर मुख करके पूजा प्रारम्भ करनी चाहिये, पूजा करनेवाले को अपने सामने एक चौकी पर पूजा की सामग्री रख लेना चाहिये और दूसरी चौकी पर सामग्री चढाने का थाल रख लेना चाहिये । इन दोनों चौकियों के आगे एक चौकी पर केशर से ॐ लिख कर शानजी को विराजमान करें। पश्चात् व्यापार की वही मे सुन्दरतापूर्वक केशर से स्वस्तिक लिखै तथा दावात कलम के मौलि वाध कर सामने रखें। पजा प्रारम्भ करने के पूर्व उपस्थित सज्जनों को नीचे लिखा श्लोक बोल कर केशर का तिलक कर लेना चाहिये। उपस्थित सजनों को भी पूजा वोलना चाहिये व शान्तिपूर्वक सुनना चाहिये। तिलक मन्त्र मंगलम् भगवान वीरो, मगलम् गौतमो गणी। मगलम् कुन्दकुन्दाद्यौ, जैन धर्मोऽस्तु मंगलम् ॥ १॥ उपस्थित सज्जनों को तिलक करना चाहिये। मङ्गल कलश को स्थापना
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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