SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -जन्म तथा मृत्युका सुतक गोत्रके मनुष्यको पाच दिनका होता है। तीन दिनके बालककी मृत्युका एक दिनका आठ वर्षके बालफकी मृत्युका तीन दिन तकका माना जाता है । इस मागे बारह दिनका । 9 अपने कुलके किसी गृहत्यागीका सन्यास मरण, वा किसी कुटुम्बीका ग्राम में मरण हो जाय तो एकदिनका सुतक माना माता है । ८--यदि अपने कुलका कोई देशातरमें मरण करें और १२ दिन पहले खबर सुने तो शेष दिनोंका ही सूतक मानना चाहिये । यदि १२ दिन पूर्ण हो गये हों तो स्नानमात्र सुतक जानो । E ६ - गौ, भैंस, घोडी आदि पशु अपने घरमें जने तो एक दिनफा सूतक और घरके बाहर जनै तो सुतक नहीं होता । दासी सद तथा पुत्रीके घरमें प्रसूति होय तो एक दिन, मरण हो तो तीन दिनका सुतक होता है। यदि घरसे बाहर हो तो सूतक नहीं । जो कोई अपनेको अग्नि आदिकमें जलाकर वा विष, शस्त्रादिले मात्महत्या करे तो छह महीनेतकका सूतक होता है । इली प्रकार और भी विचार है सो आदिपुराणसे जानना । १० - बच्चा हुये बाद भैंसका दूध १५ दिन तक, गायका दूध १० दिन तक, वकरीका ८ दिन तक अभक्ष्य ( अशुद्ध ) होता है । वैशभेदसे सूतक विधानमें कुछ न्यूनाधिक भी होता है परन्तु की पद्धति मिलाकर ही सूतक मानना चाहिये । समात -
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy