SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मेन पूजा पाठ सद मंदार सरोज, कदली जोजं, पुञ्ज भरोजं, मलयमरं । भरि कंचन-धारी, तुम हिंग धारी, मदन-विदारी, धीर-धरं ।। श्री. - ही गीगान्तिनापरिनन्याय कामपाणयिध्वसनाय पुष्प निर्वपामीति स्वाहा। पकवान नवीने. पावन कीने, पट रस भीने, सुखदाई । मन-मोदन-हारे, शुधा चिदारे, आगे धारे, गुन गाई ।। श्री. ही योगामिनापजिन्य भारागपिनाशनाय नवे निर्वपामीति स्पाहा। तुम ज्ञान प्रकाशे, भ्रम-तम नाशे, शेय विकाशे, सुसरासे । दीपक उजियाग, यात धाग, मोह निवारा, निज भासे ॥ श्री० धीमान्दिनापारिनेत्राय मादायकारपिनारानाय दीप निपामीति म्याटा। चन्दन करपूर, करि वर चुरं, पापक भूरं, माहि जुरं। तमु धूम उडाव, नाचत आवं, अलि गुंजावे, मधुर सुरं ॥ श्री. ही श्रीगान्निनान्निन्द्राय आरमदटनाय धूप निर्षपामीति स्याहार वादाम सनरं, दाडिम पूरं, निवुक भूरं, ल आयो । तासों पद जज्जों, शिवफल मजों, निज-रस-रज्जों, उमगायो॥ श्री. श्रीगान्तिनापजिननाय मोक्षफलप्राय फल नियंपामीति स्पाया। बसु द्रव्य संवारी, तुम दिग धारी, आनंदकारी, दृग-प्यारी। तुम हो मवतारी, करुना-धारी, यात थारी, शरनारी | श्री. ही श्रीगान्तिनापजिननाय भर पामीति स्याहा । पंचकल्याणक सुन्दरी तथा द्रुतविलम्वित छद । असित मातय भादव जानिये, गरम-मंगल ता दिन मानिये । सचि कियो जननी-पद चर्चनं, हम करें इत ये पद अर्चनं ।। ही मापदणसप्तम्यां गर्गमगर मष्टिताय श्रीशान्तिनाथ जिनेन्द्राय अघ' ।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy