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________________ ( ७१ ) (चलत) मत कर शादी, घर बरवादी, तुझे सलाहदी सुखकारी सोच समझ कर देख ज़रा तू इसमें निकलेगी ख्वारी॥ बुढा-कुछ परवा की बात नहीं जो हूं कल रथी सवार । करवा फोड़े चुड़ियां तोड़े नई नवीली नार ॥॥ मैं तो शादी० ॥१०॥ । (शेर ) । क्या भला यह कम नफा है जो हो घरमें स्त्री। तोड़े चुड़ियां फोड़े करवा सर की फाड़े चुनरी ॥ , और घर के सब करेंगे शोक लोकालाज को।' पर वह सच्चे दिल से मेरा शोक माने गम भरी ॥ एक तो वैसे मरना है बुरा संसार में। और फिर रंडवे का मरना बात है कितनी बुरी ॥ यह समझ कर मैंने इरादा ब्याह करने का किया । . अब नहीं मानंगा ज्योती इसी में है वेहतरी ॥ . (चलत) होवे शादी घर आबादी, मनकी मुरादी बर आवे । हट्टा कट्टा हूं मैं पहा, तू क्यों रोड़ा अटकावे ॥ रिफार्मर-मैं कहता हूं तेरे भले की समझ २ नादान । - बन्ना बने मत व्याह करे मत, बात मेरी ले मान ।। ' 'मत शादी० ॥११॥
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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