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________________ (६६) चाहिये वाह ! वाह वाह ! आहा! आना! भाई खब में तो जर ही शादी कराऊंगा। (वृहे का गाना) ढा-मैं तो शादी करूं मैं तो शादी कलं, शादी से - खाना भावान कलं॥टेक॥ - - नई नवीली देतच्चीली इक जोर व्याह लाऊं, वृहा होरर दुल्दा जहाजं, सरपर मौड़ घराऊं। मैंनो शादी कला॥ सामर-मत शादी करे, मत शादी करे, भारत की क्या वरवादी करे ।। टेक॥ साउ दरस का बूढा खूसर, मुंह में रहा न दांन । गड़गड़ वाते गईन तरी, यर यर कार गान। मत शाजी कर मन शादी करे ।। भारत० ॥२॥ चेहरा रा है मुझोया, पोले पड़ गये गाल । बात करते हुए टपकनी मुंह से टप टप रात ।। मत शादी करे या शादी० ॥३॥ बुबा-वाय पैर से हूँ मैं चंगा, कन्न गठीला मेरा । जोइक थप्पड़ कसकर मालं नो मुंह फिरजावे तेरा ॥ में की शादी करें ॥2 रिफार्मर-वस यस रो वही मन आगे. बड़े न बोतो वोल ! आंखों के अन्य हो. फिर भी देखो अांखें सोल । मत शाही करो मन शादी! ५ ।।
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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