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________________ रामचंद चौबीसी पाठ मारवाड़ प्रतिमें प० रामचदजी कृत चौवीसी पाठका अधिक प्रचार है। । अतएव दुबारा हमने फिर इसको छपा दिया है। प्रथमावृत्तिकी अपेक्षा अवकी वार बड़ा बड़ा टाइप तथा पुष्ट कागज और सुन्दर जिल्द भी बधवा दी है। न्यो०११ रुपया मात्र। नित्य पाठ गुटका सस्कृत भाषाके १८ पाठोंका पाकेटमें रखने योग्य गुटका है ।। न्यो० ॥) मात्र। सामायक पाठ मेरी भावना यह भी गुटका साइजमें सार्थ छाकर चार वार विक चुकी है। न्यो०-) राम बनवास उर्फ जैन रामायण । पद्मपुराणके आधारसे सुन्दर जोशीली रामायणकी तरह भावपूर्ण कविता में कविरत्न प० गुणभद्रजीने इसको लिखकर साहित्यका बड़ा उपकार . किया है। पृष्ठ संख्या १७० कई हाफटोन सुन्दर चित्र हैं। मूल्य केवल १) मात्र । . षोड़ससंस्कार आदि पुराणके आधारसे इस पुस्तकका सपादन कराया गया है, जन्मसे लेकर मरण पयंत सोलह संस्कार होते हैं उनको पूर्ण विधीसे सरल भाषामें समझाया गया है, प्रत्येक गृहस्थके यहां इसकी १ प्रति अवश्य ही रहनी चाहिये। कव्हर पर एक सुंदर रंगीन चित्र दिया गया है। इसको प्रथमावृत्तिका मूल्य १) था पर द्वितिया वृत्तिका मूल्य ॥) मात्र कर दिया है। • भाद्रपद पूजा संग्रह इस पुस्तकमें तमाम मावश्यकीय पूजामोंका संग्रह कर दिया गया है। मादो महीनेमें इस पुस्तकको मगा लेनेसे फिर और कोई पुस्तकको आवश्यकता नहीं रहेगी। मू० ॥३)
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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