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________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी सकप्प ससिकतरयणणिवहा जंवू० प० ३-१६६ | सहिदय सकरणयामो भ. श्रारा० ३७९ ससिकतरयसियरा . जबू० प० ६-६६ | सहिदा वरवावीहिं तिलो० प०४-८०८ ससिवंतवेदिणिवहा जबू० ५० ६-७५/ संकप्रमो जीवो कत्ति० अणु० १८४ ससिकतसुरकंतक्कक्के- जबृ० प०१०-१२ भ. श्रारा० ८६० ससिकतसुरकतप्पमुह- विलो० ५० ४-२०१ / संकम-उवक्कमविही कसायपा० २४ ससिकतसूरकता जबू० ५० ५-७४ । संकमण तदवट्ठ लद्धिसा० ४५३ ससिकिरणविप्फुरतं वसु० सा० ४५६ संकमणं सठ्ठाण गो० जी० ५०३ समिकुसुमहेमवरणा जव० प० २-१८ / संकमणाकराणा गो० क० ४४१ ससिणिद्धभूमिगमणे छेदपिं० १६५ | सकमणे छट्ठाणा गो० जी०५०५ ससिणिद्धेण य देयं मूला० ४६४ / संकमदि सगहाणं लद्धिसा० ५११ ससिणो परणरसारण तिलो० ५० ७-४६० । संकमदो किट्टीणं लद्धिसा० ५३० ससिधवलसुरहिकोमल- जव० प० ५-११६ / संकंतम्हि य णियमा कसायपा० १२६(७६) ससिधवलहसचडियो जव ० ५० ५-६७ / संकतीइ(य) मुहुत्तं (ते) थाय० वि० ५७-८ ससिधवलहारसएिणभ- जब० ५० ४-२८ संकाइदोमरहिओ(य) वसु० सा० ५१ ससि पोखइ रवि पज्जलइ पाहु० दो० २२० / संकाइदोसरहिये भावस. २७६ ससिबिंबस्स दिणं पडि तिलो. प०७-२१२ / संकाइय अट्ठ मय सावय० दो० २० ससिलसकासं तिलो. प० ४-६१९ / संकाकखागहिया तच्चसा०१४ ससिरयणहारसरिणभ- ज०० ५० -११४ | संका करखा य तहा छेदपिं० ३२० ससिसंखाए विहत्तं तिलो० प०७-५५६ संकामगपट्ठवगस्स कसायपा० १२५(७२) जवू०प०६-१४८ संकामगपट्टवगस्स कसायपा० ससिसूग्दीवयाई रिट्टस० ४१ संकामगपट्ठवगो कसायपा० १३०(७७) ससिसूरपयासाओ वसु० सा० २५४ सकामगपट्टवगो कसायपा० १४१(८८) ससिहारहमधवलुच्छलत-तिलो० ५० ४-१७८४ संकामगो च कोध कसायपा० १३७(८४) ससुगंधपुप्फसोहिय- 'तिलो० सा० २१८ | सकामण-अोवरण कसायपा. १८ ससुगंध सवगधो - तिलो० सा० १६५ संकामण-अोवण कसाया०१० ससुया जुबई वेसा रिट्ठस० १६० संकामण(ग)पट्ठवगस्स कसायपा० १२०(६७) ससुरासुरदेवगणा जवृ० ५०४-१५८ संकामणमोबट्टण क्सायपा० २३३(१८०) ससुगसुरदेवगणा जब० प० 8-१६१ संकामयपट्ठवगस्स कसायपा० १२४(७१) सस्सदमधउन्छेदं पचस्थि० ३७ | सकामाद उदाराद कसायपा० २२०(१६७) सस्सो य भरधगामस्स भ० भारा० १३८८ संकामे दुक्कडदि * कसायपा० १२३(१००) सहजअवत्थहि करहु लहु पाहु. दो० १७० / संकामे दुक्कडदि * लद्धिसा० ३६६ सहज खुधाइजाद् दवस. णय, १२ | संफिद मक्खिंद-णिक्खिद- मूला०४६२ सहजं माणुसजम्म भ० श्रारा० १८६३ जबू०प० १०-५४ सहजुप्पएण रूवं दसणपा० २४ / संख-पिीलिय-मक्कुरण- तिलो० ५० ४-३३० सहस त्ति सयलसायर- तिलो. प०४-१०१५ | सखपिपीलिय-मक्कुण- जंबू० प० २-१४१ सहमाणाभोइददुप्प- मूला० ३२० | संखमसंखमणतं तिलो० सा० ७६ सहसाणाभोगिददुप्प-* भ० धारा० ११६८ | संखवरपडहमणहर- जबू० प०४-१४६ सहसाणाभोगियदुप्प- भ० श्रारा० ८१४ | संखसमुद्दहिं मुक्कियए पाहु० दो० १५० सहसारउवरिमंते तिलो० ५० १-२०६ | संखसहस्सपयेहिं अंगप० १-६ सहसेहि चोइसेहि य जबू० प०८-४४ । संखाजगणरतिरिये गो० क० २८६ ।
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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