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________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणा २३१ भावुज्जोवो णाणं मूला० ५५३ | भिएणड जेहिंण जाणियउ पाहु० दो० १२८ भावेइ छेदपिडं छेदपि०३६१ / भिएणउ वत्थु जि जेम जिय परम०प०२-१८१ भावे केवलणाणं भगप० १-३५ / भिएणपयाडम्मि लोए भ० धारा० १७५६ भावेण अणुवजुत्तो मूला० ६२४ | भिएणमुहुत्तो णरतिरिया' गो० फ० १४० भावेण कुणड पावं भावसं०५ | भिएणमुहुत्तो रणरतिरिया मे फम्मप० १३८ भावेण जेण जीवो पवयणसा०२-८४ पघस०१-१७ भावेण तेण पुणरवि* भावसं०३२७ | भिएणसमट्टियेहिं दु+ गो० जी० ५२ भावेण तेण पुणरवि * कम्मप. २४ | भिएणं सरेहिं पिच्छ रिट्टस० ५७ भावेण सपजुत्तो मूला० १२५ | भिगिणंदणीलकेसं जंबू० ५०२-११२ भावेगण होइ गग्गो भावपा० ५५ | भिएिणंदणीलकेसा तिलो०५० ४-३३६ भावेण होइ णग्गो भावपा० ७३ | भिरिंणंदणीलमरगय- तिलो० प. ४-१८७० भावेण होइ लिंगी भावपा० ४८ | भिएिणंदणीलवर। तिलो० ५०-२५३ भावे दसणणाणं सुदखं० १३ भित्तीओ विविहायो तिलो० ५० ५-१८६० भावे सगविसयत्थे भ. पारा०२१४२ | भित्तूण रायदोसे प्राग० सा. ६ भावे सरायमादी दवस० गय०११३ | भिंगा भिंगणिभा तह जय० प०४-१०६ भावे सरायमादी गायच०२१ भिंगा भिंगणिहक्खा तिलो. प०१-१९६० भावेसुं तियलेस्सा तिलो. प० २-२८१ | भिंगारकलसदप्पण- जय०प०२-६२ भावेह भावसुद्धं भावपा० ६० | भिंगारकलसदप्पण- जब० प०३-१३६ भावेह भावसुद्ध चारित्तपा० ५४ | भिगारकलसदप्पण- जय० प० ४-१५ भावेति भावणरदा मूला ८०८ भिंगारकलसदापरण- अंग प०६-१३२ भावो कम्मणिमित्तो पंचस्थि०६० भिंगारकलसदप्पण- तिलो० ५० १-१२ भावो जदि कम्मको पंचयि० ५६ भिंगारकलसदप्पण- तिलो० ५० ३-४६ भावो दवणिमित्तं दन्वस० गाय०२ | भिंगारकलसदप्पण तिलो० ५०३-२२३ भावो य पढमलिग भावपा०२ भिंगारकलसदप्पण- तिलो० ५०४-११६ भावो रागादिजुदो समय० १६७ भिंगारकलसदप्पण- तिलो. प०४-१६. भावो वि दिव्वसिवसुक्ख- भावपा०७४ भिंगारफलसदप्पण तिलो. प०४-७३६ भासइ पसरणहिदो तिलो० ५० ५-११२७ भिंगारकलसदप्पण- सिलो० ५०४-१६६. भासमणवग्गणादो गो० जी० ६०० भिंगारफलसटप्पण तिलो०प०४-१८६७ भासंताण मज्झे भिंगारकलसदप्पण- तिलो. प०४-१८७८ भासंति तस्स बुद्धी तिलो. प. ४-१०१७ भिंगारकलसदप्पण- - तिलो०प०६-१३ भामं विणयव्हूिण मूला० ८५३ । भिंगारकलसदप्पण- तिलो. प०८-५८५ भामा अमञ्चमोसा मुला०५६७ | भिगारकलसदप्पण- तिलो. सा. १८६ भासाणुवित्तिछदा मूला० ५८२ | भिंगारकलसदप्पण- तिलो० ५०४-१८८३ भासामणजोआणं पसं. ४-७३ | भीएहि तस्स पूजा(या) भावस० १५८ भिउडी-तिवलिय-चयणो भ० श्रारा० १३६१ | भीदीए कंपमाणो तिलो० प० २-३१४ भिउपुहविसीहियाणं आय० ति० ५६-२८ भीदो व अभीदोवा भ० भारा० १६०६ भिक्खं चर वस रणे मूला० ८६५ | भीम महभीम भीप्पू तिलो० प० ६-४४ भिक्ख वक्कं हिययं मूला० १००४ | भीम-महभीम-रुद्दा x तिलो० ५० ४-१४६७ भिक्ख सरीरजोग्गं मूला० ६४३ | भीम-महभीम-रुद्दा x तिलो० सा० ८३४ भिक्खाचरियाए पुण मूला० ४६३ | भीम महभीम विग्यविणायक तिलो० सा० २६७ दस०३६
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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