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________________ प परमसमाहि-महामरहि परमहिलं सेवते परमाउपुव्यकोटी परमाणु दिहिय परमाणुत्रादिया परमाणुश्रादिया परमाणु श्रादियाइ परमाणु एयदेमी x परमाणु यदेमी x परमाणु प्रमाण वा परमाणु प्रमाण वा परमाणु प्रमाण वा परमाणु मित्तय पहु परमाणु मित्तराय परमाणुवग्गणात्रो परमाणु सयल परमापुर रिय परमारण तस रेणू परमार यांता परमारहि श्रहिं परमाणूहिं श्ररणता परमाहिया परमावहिवरखेत्तेण्परमावहिस्स भेदा परमावहिस्स भेदा पर मिट्टी झायतो परमेट्ठिभासदत्थ परमोरालयकाय परमोरा लिय देहरसम्मोपरमो दिव्यभेदा परलो विय चोरो परलो विसरूव पर लोगरिपिवासा पर लोगम्मिय चोरो पर लोगम्मि वि दोसा परलोयम्मिश्रणत परवत्तव्ययपक्खा परवत्थू परमहिला वसन्तो परविसयहरसीलो प्राकृत पयानुक्रमणी परम० प० २-६८६ | परममयतिमिरवल भ० पा० ६२७ परसमया चयण परमंतावयकारण जवृ० प० ७-४४ जबू० प० १३-२६ | परमंपया डिं पचम० १-१४० परिगम पजाओ गो० जी० ४८४ | परिचरण कुधम्मं कम्मप० ४५ ; परिचत्ता परभाव ०५८ | परिणमदि चेटाए उच्चस० ० २२८ परिणमदि जटा पा निलो० प० ६-३६ परिणमदि जेण व्य पवयणसा० ३-३६ । परिणमनियमट्ट 7 मोक्खपा० ६६ समय० २०१ तच्चया० ५३ गो० जी० ५६५ तिलो० मा० ११ ર परिणामदि सरिणजीवो | परिणमदि सय द्रव्च परिणमटो खलु खा परिणामजुदो जाओ परिणामजोगठाया तिलो० प० २-२८ परिणामपण जबृ० प० १३–२२ तिलो० प० ४-५५ મોરલી तिलो० प० १-१०२ परिणामादी ध 1 जबृ० प० १३–१६ । परिणामि जीव मुत्तं : गो० जी० ४१८ | परिणामि जीव मुत्त: गो० जी० ३६० गो० जी० ४१३ दाइसी० १७ जवृ० प० १३-१४० 1 · सम्मइ० २-१८ कल्लाणा० ३४ तिलो० प० २-२६८ कत्ति० प्र० ४७४ | परिणाम पुव्ववयणं परिणामम्मि असु परिणामसहावादी परिणामिजीवमुत्तापरिणामियभावगयं परिणामेण विही परिणामें बंधु जि हिउ परिणामो दुट्टागो चसु० सा० १११ भावम० ६८० गप० ३-१४ | परिणामो सयमादा गो० जी० ४१५ | परिणाहेक्कारसम परिणि+कमणं केवलपरिचमं परिधिम्मि जहि चिट्टदि परिधी तस्सदु या चसु० मा० ३४५ भ० श्रारा० १६५५ भ० प्रा० ८७१ भ० श्रारा० ८५० | परिपक्क उच्छ (च्छु ) हत्थो वसु० सा० १२४ परिफ मो परिमाण च सिलोया परिमार विक चिवि परियट्टा य वाय परियम्मसुत्तपढमा ¡ २०३ जबू० ५० १-१ गो० क० ८६५ या० गु० ७४ भावसं० ५७६ सम्मइ० ३-१२ धम्मर० ६५ यिमसा० १४६ पचयणमा० २-३१ पवयणसा० २-६५ पवयणसा० १-८ पचयासा० १-४२ कत्ति० अ० ७१ पत्रयणमा० २-१२ पचयणसा० १-२१ चसु० ना० २७ गो० क० २२० छेदपिं० २८१ णियम्सा० १७२ भावपा० ५ कप्ति० श्रणु० ११० पवयणसा० २-८८ मूला. २४५ चसु० सा० २४ चसु० सा० २३ भावम० १६७ कति० श्रणु० २२७ जोगसा० १४ गो० क० ८३० पवयासा० २-३० तिलो० सा० २२ तिलो० प० १-२५ भ० श्रारा० १०३८ तिलो० सा० ३८३ जबृ० प० १-२१ तिलो० प० ५-६६ भावस० ६६६ गाणासा० ६३ भ० श्रारा० ६६५ मूला० ३६३ सुदभ० ४ 1
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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