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________________ E निलो० प० ७-११४ यियिरासिपमाखं यियिवल्लिखिदाणं तिलो० प० ४-८२४ रियरिणयविभूदिजोग्गं यियिससी श्रद्ध रिणयनच्चुवलद्ध विणा ण्यिताराणं सखा दिव्वखेत्तकाले यिसाभिरामा गियदेहरिस्तं पिच्छिण यि - परम-पाप-संजणिय गिय-पह - परिहिपमाणे यिभावरणाणिमित्त यिभावं स विमुचइ यिभासाए जंपइ रिय-मण- पडिवोहत्थं यि मणिसे सालो रियम - विहूराह पिट्टणी रियम यिमस्स फलं णियम मोक्डवायो aियमा कम्मपरिव यिमा मिच्छाट्ठी यिमा लदा - समाणो प्राकृतपथानुक्रमणी मालदा - समादो यि जुत्तस्स पुणो यमेण श्रयिमेण य तिलो० १० ५–१०१ | णिरयार-देव-गई तिलो० प० ७-५५२ गिरयकडियम्मि पत्तो रयणसा० ६० रियगइ- अमर-पंचितिलो० प० ७ - ४६६ गिरय-गदि श्रउणीचं अंगप० २-५३ | गिरय-गदि श्राउबधरणजंबू० १० ११ - २६२ | गिरयगदियाणुपुच्विं मोक्खपा० ६ |रियगदीए सहिदा य० ८५ | गिरयचरो रात्थि हरी तिलो० प० ७-५७० गिरयणिवासक्खिदिपरिशियमसा० १८६ | गिरयतिरिक्खगदीसु य शियमसा० ६७ | गिरयतिक्खिदु वियलं भावस० ६० गिरयतिरिक्खसुराज्यणाणसा० ६१ | गिरयतिरियाउ ढोरिण वि णियमणि।णिम्मलि पाणिग्रहॅ परम०१०१ - १२२ | गिरयदुगाहारजुयलद्रव्वस० णय० २५२ | गिरयदुयस्स श्रसरणी सावय० दो० ११५ | गिरयदुयं पचिंदिय furमसा० १८४ गिरयद्वय पंचिंदिय शियमसा० ४ | णिरयपदरस्स आउ समय० १२० गिरयबिलाप होदि हु कसायपा० ६८ (४५) णिरयं गया पहिरिवो कसायपा० ७६ (२३) णिरयं सासणसम्मो कसायपा० ७७ (२४) रिया इगिविगला सछेदस० २२ | णिरयाउगदेवाउगतिलो० प० ४ - ६८ १ | गिरयाग देवाउगमिसा० ३ | गिरयाउज हरणादिसु सम्मइ० ३ - २८ | गिरयाउस्स य उदए + परम० प०२-२८ गिरयाउस्सय उदए + सम्मइ० १-२८ | गिरयाऊ गिरयदुय वसु० मा० ७६ |रियाऊ तिरियाऊ भावपा० १०३ | रिणारया किल्हा कप्पा छेदपिं० ३२ णिरयाणुपुव्वि उदयो ढव्वस० य० २८५ | गिरयादिजुदट्ठाणे श्रा० ति० २३ - ६ | रियादिणामबधा रयणसा० ६ | रियादिसु पर्या डिट्टिदिपचस० ५ - ४१५ | गिरयादी गदीगं धम्मर० ६६ |रियाढो खिस्सरिदो रिया पुरा पहं तिलो० प० २-३५२ | गिरयायुरस अट्टिा 1 मूला० ७२० यिमेण य जं कज्ज़ मेण सदहंतो यि कहियउ एहु मइँ यियवयरिगज्जसच्चा यि पिय वहिरि सित्तीए महाजस यि समयजादिकुलधम्मरियसमयं पिय मिच्छा पियसामि - सोम - पावा यि सुद्धपरत्तो गिरए नीसुगितीस गिरए सहाच दुक्ख free हमे free त्थि मोक्ख गिरएस पत्थि सोक्ख गिरएस वेदशाओ つ १४५ तिलो० प० ४-६११ भ० थारा० १५६२ पचस० ४-७ भ० श्रारा० १५६६ कसायपा० ४२ गो० क० ३१६ तिलो० प० २-४ भ० श्रारा० २०६१ तिलो० प०२-२७८ तिलो० सा० २०४ तिलो० प०२-२ भ० श्रारा १५६१ गो० क० ३३८ गो० क० ३३५ गो० क० ३८४ पचसं० ४-३६३ (क) पचसं० ४-४३६ पचसं० ४-२६० पचस० ५-२४ १०१ तिलो० प०२-२०२ तिलो० प० २ तिलो० सा० ८३३ गो० क० २६२ तिलो० सा० ३३१ पचस० ४-३६२ पचस० ४-५०६ वा० श्रणु० २८ पचसं० ५-१६ पचस ०५-२८८ पचम० ४-३४८ मूला० १२३० गो० जी० ४६५ पचसं० ३-३१ गो० क० ५५२ गो० क० ७१२ गो० क० ३४४ गो० क० ७६ तिलो० सा० २०३ गो० क० 1
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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