SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११४ जंबीर- जंबु केलीजंबीर- मोय-दाडिमजंबुकुमार-सरिच्छा -रविंदू दीवे जंबु-सम-वरण स जबूउभय परिही जंबूचारधरुणो जंबूजाय लक्खनजंबू लक्खो जंबू जय लक्खो जंबूद-रयणमयं जंबू- रणमयं जंबूय-रयदम जंबूतरुदलमाणा जंबूदी समोर जंबूदीदी जंबूदीवखिदीए जंबूदीव परिि जंबूदीपवरदजंबूदीपवदिजंबूदी मही जंबूदी दुवे जंबूदीवसरिच्छा जंबूदीवस जहा जंबूदीवस्स जहा जंबूदीवस तदो जंबूदीवस तदो जंबूदीवर तहा जंबूदीवस तहा जंबूदीवर तहा जंबूदीवस पुण जंबूदीवं परियदि जंबूदी भरो जंबूदीवादीया जबूदीवाहितो, जंबूदीवाहितो जंबूदी एको जंबूदीवे या jaata जंबूदी मे १ पुरातन-जैनवाक्य-सूची तिलो० सा० ६७३ | जंबूदीवे मेरू वसु० सा० ४४० | जंबूदीवे लवणो तिलो० प० ४ - १३६ | जंबूदीवे लवणो x तिलो० सा० ३७५ | जबूदीवे लवणो x तिलो० सा० ६५२ |जवृदीवे लवणो तिलो० सा० ३१४ | जंबूढीवे वाणो तिलो० सा० ३६२ | जबूदीवो दीवो तिलो० प० ५-३२ | जंबूदीवो धादइ- ** सुदखं० २५ जवृदीवो धादइतिलो० ० सा० ३०८ | जंबूदीवो भणिदो जबू० प० ११ - २६६ | जंबूदीवो भणिदो जबू० प० ११-११६ | जंबूदीवो भणिदो जबू० प० ११-३१६ | जंबूदुमा वि या तिलो० सा० ६५० | जबूदुमा वि तस्सदु सावय० दो० २०२ | जंबू- दुमेसु एवं तिलो० प० ४-१७११ | जंबू-धादइ- पुक्खरतिलो० प० ४–२६१६ | जंबू- धादकि-पुक्खर मूला० १०७२ | जबू-धादगि-पोक्खरतिलो० प० ४ - २२४४ | जंबू- पायव - सिहरे तिलो० प० ४-२५८१ | जंबूय के दूां (?) तिलो० प० ४ -२७३५ | जंबूरुक्खस्स तलं तिलो० प० ७-२१८ | जंबू- लवणादीगं तिलो० प० ६-६२ जं बोल्लइ ववहार उ जबू० प० ४-६४ जं भजिदो सि भज्जिदजबू० प०५-८६ जं भदसालवण-नितिलो० प० ४- २०७१ जंभास दुक्खसुहं, तिलो० प० ४-२११६ जंभवं सुमसु ज भासियं असचं जमहूँ कि पवि जंपियड जं मया दिसदेव जंबू० प० १-३८ जबू० प० ११-१७८ जंबू० प० १३ - १६६ जंबू० प० ११-३८ | जं मुणि लहइ अांत-सुहु जबू० प० १०-२ गो० जी० १६४ जबू० प० ११-६० तिलो० प० ५-५२ तिलो० प० ५-१७६ तिलो० सा० ५६३ जं वडज्म बीउ फुडु जबू० प० १-५५ ra तिलो० प० ४ - ४३६ |जं वत्थु अणेयंतं अगप० २-१ जं वतं गिवासे ज तिलो० प० ४-४२७ जंबु० प० १२-१३ जबू० प० ११-८ मूला० १०७८ तिलो० प०५-२८ तिलो० सा० ६६१ जबू० प० १०-६० जंबू० प० ११-८४ मूला० १०७४ जंबू० प० ११-३६ जंबू० प० ११-४८ जंबू० प० ११-७३ जबू० प० ६-६८ जंबू० प० ३ १२८ जंबू० प० ३-१२ जंबू० प० ११-१८६ तिलो० सा० १६३०४ जंबू० प० ११-१६५ जंबू० प० ६-७५ तिलो० प० ७-५८७ तिलो० १०४ - २१६३ तिलो० प० ५-३७ परम० प० २-१४ भ० श्ररा० १५७४ तिलो० प० ५-७१ तिलो० प० ४-१०१३ समय० १०२ धम्मर० २७ परम० प० २ - २१२ मोक्खपा० २६ परम० १० १-११७ भाबस ० ५३० जयत्तय-रहिय जं लद्धं श्रवराणं जं लद्धं पायव्वा तिलो० प० ४- २४२७ जबू० प० ६-५० जं लिहिउ पुच्छिउ कह व जाइ पाहु० दो० १६६ जं वज्जिज्जं हरियं वसु० सा० २६५ जोगसा० ७४ कत्ति० अ० २६१ कत्ति ० ० २२५ मूला० ८५१ 1
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy