SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०६ पुरातन-जैनवाक्य-सूची जत्थ ण फलमलम कत्ति० अणु० ३५३ | जदि तारिमाओ तुम्हे भ० श्रारा० १६.४ जत्थ ण कटयभंगो भावपं० १२० जदि ते ण संति अट्टा पवयणमा० १-३१ जत्थ ण जादो ण मदो म० श्रारा० १७७५ माया पवयणसा०३-15 जत्थ ण झाणं मेयं श्रारा० सा० ७८ जदि तेनि बाधादो भ० श्रारा० १६० जत्थ ण सोत्तिग अस्थि दु म० श्रारा० २२८ जदि दवे पजाया कत्ति थणु० ०४३ जत्थ ण होज तणाई भ० श्रारा० १९८४ जदि दसणण सुद्धा पवयणमा०३-२४३०१३(ज) जत्य णिसएणो पुच्छड थाय० ति० ५-६ जदि दा अभूतपुख्य भ. श्रारा. १६३० जत्थ णिसएणो पुच्छड श्राय० ति०५-१० जदि दा एव पदे भ० धारा० १५५८ जत्थ त्थइ जिणणाहो जंवू० ५० १३-१०३ | जदि दा जणेड महण- भ० श्रारा० ६२८ जत्थ दु वेदड्ढणगो जंबू० प० ८-१०४ जदि दा तह अएगाणी भ० श्रारा० १५३० जत्थ पुण उत्तमट्ठम- भ० श्रारा० ६८४ | जदि दा रोगा एक्कम्मि भ० श्रारा० १०५४ जत्थ जवृ० प०४-२६० जदि दाव विहिसिज्जा भ० पारा० १०२१ जत्थ वरणेमिचंदो गोक०१०८ जाद दा विहिंसदि गरो भ. श्रारा० १०४६ जत्य वहो जीवाणं धम्मर० १५ जदि दा सवदि असते- भ० श्रारा० १४२० जत्थुद्देसे जायदि तिलो० सा० ८०। जदि दा सुभाविदप्पा भ० थारा० १६४८ जत्थेक्कु मरइ जीवो+ पंचस. १-८३ / जदि दिवसे मंचिदि भ० थारा० १६६७ जत्थेक्कु मरइ जीवो + गो० जी० १६२ जदि धरिसण्मेरिमयं भ० थारा० ४६४ जत्थेयारहसड्ढा श्रंगप० -४० जदि पञ्चक्खमजाय पवयणमा०१-३६ जत्थे व चरद बालोx भ० पारा० ६२०३ / जदि पदि दीवहत्यो मूला. १०६ जत्थेव चरदि बालोx मूला० ३२६ । जदि पढदि बहुसुदाणि य मोक्वपा० १०० जदणाए जोग्गपरिभा- भ० श्रारा० १६५ जदि पत्रयणम्स मारो भ० धारा०१% जदं घरे जद चिट्टे * मूला० २०१३ जदि पुग्गलकम्ममिणं समय०५ जदं चरे जदं तिढे श्रगप०१-७ जदि पुण चडालादी छेदपिं० ३०१ जद तु चरमाणस्स मुला० १०१४ जदि पुण परवादिवित्रा- छेदपिं० १४२ जदि अधिवाधिज्ज तुमं __ भ० श्रारा० ६४४० जदि पुण मुहम्मि पम्सदि छेदपिं०६६ जदि आयरिश्रो छेद छेदपि० २५८ , जदि पुण विराहिणं छेदपि० २८७ जदि इदरो सोऽजोग्गो मूला० १६८ जदि मरदि सासणो सो लद्धिसा. ३४६ जदि एगणिसं वसदिय- छेदपिं० १३५ जदि मूलगुणे उत्तर- भ० श्रारा० ५८४ जदि कुरणदि कायखेद पवयणमा० ३-५० जदि वत्थुदो वि भेदो कत्ति० अणु० २४६ जदि कोइ मेरुमत्तं भ० श्रारा० १५६३ भ० श्रारा० १९७७ जदि गोउ(पु)च्छविसेस लद्धिमा० १३७ जदि वा सवेन्न संते- भ० श्रारा.१४०१ जदिनगोचारस्स विहिं श्रगप० ३-२४ जदि वि असंखेजाणं लद्विसा० १५१ जदि चरणकरणसुद्धो मूला. १६७ / जदि वि कहचि वि गथा भ० श्रारा० ११४२ जदि जीवादो भिएणं कत्ति० अणु० १७६ जदि विक्खादा भत्तप- भ. श्रारा० १६७६ जदि जीवो ण सरीर समय० २६ जदि वि य करेंति पावं मूला० ८६६ जदि ण य हवेदि जीवो कत्ति. अणु० १८३ जदि वि य से चरिमंते भ० श्रारा० १६६० जदि ण हवदि सव्वण्हू कत्ति० अणु० ३०३ भ. श्रारा० ११६५ जदि ण हवदि सा सत्ती । कत्ति० अणु०२५५ जदि विसमो सथारो भ० श्रारा० १६८ जदि तस्स उत्तमंगं भ० भारा० १६६E जदि विसयगंधहत्थी म. श्रारा० १४११ जदि तं हवे असुद्ध मूला० ३२४ । जदि वि सयं थिरवुद्धी भः श्रारा० ३३३
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy