SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुरातन-जैनवाक्य-सूची गायंति जिणिंदाणं तिलो. १० ४ ७५० गिरिमसहरपहवड्ढी तिलो० ५० ७-१४६ गायति महुर-मणहर- जवू० प० ४-२२८ गिरिसीसगया दीवा जंबू०प०१०-५० गायति य गच्चंति य जंवू० ५० ११-२६४ गिह अंगदुमा णेया जब० प० २-१२६ गारविश्रो गिद्धीयो मूला० १५३ गिह गंथ-मोह-मुक्का बोधपा०४५ गालयदि विणासयदे तिलो० ५० १-१ गिहतरुवरवरगेहे भावसं० २८८ गावइ णच्चइ धावइ भ० श्रारा० ११३४ गिह लिंगे वट्टतो भावसं० १०० गाह-दह-पंक-दिदी तिलो० सा० ६६७ / गिह-वावार-रयाणं भावसं० ३६३ गाहा-सदे असीदे कसायपा० २ गिह-वावार-वरत्तो भावस०३६६ गाहेण अप्पगाहा सुत्तपा० २७ गिह-वावारं चत्ता कत्ति० अणु० ३७४ गिण्हइ दव्वमहावं णयच० २६ | गिहिदत्थेयविहारो मूला० १४८ गिएहदि अदत्तदाण लिंगपा० १४ गिहिदत्थो सविग्गो भ० श्रारा०३४ गिएहदि मुंचदि जीवो कत्ति० अणु० ३१० गिहि-वावारपरिट्टिया जोगसा०१८ गिद्धा गरुडा काया तिलो० ५० २-३३५ गिंभे दिवसम्मि तहा छेदस० ३३ गिद्धउ लय भारुडो रिस० १७६ गीतरदी गीतयमो तिलो० सा० २६३ गिरि-अभंतर-मझिम- तिलो० सा० ३८२ गीदत्यपादमूले भ. श्रारा०५४७ गिरि-उदय-चउभागो तिलो० ५० ४-२७६८ | गीदत्या कद कज्जा भ० श्रारा० १६७६ गिरि-उवरिम-पासादे तिलो० प० ४-२७४गीदत्थो चरणत्यो भ. श्रारा० ३६६ गिरि-कंदर-विवर-सिला णाणमा० । गीदत्थो पुरण खवयस्म भ० श्रारा० ४४१ गिरि-कदरं च अडविं भ० श्रारा० १७३६ गीदरदी गीटर(य)सा तिलो० ५० ६-४० गिरि-कंदरं मसाणं भूला० ६५० गीदरवेसु सोत्तं तिलो० ५० ४-३५४ गिरि-कूड-चरगिहेसु य जंवू० प० ४-१०४ गुज्झको इदि एदे तिलो० ५० ४-६३४ गिरि-जुद दुभहसाल तिलो० सा० ६३० | गुडखंडसक्करामिय-- गो० क. १८४ गिरि-णदियादि-पदेसा भ० श्रारा०२००७ गुडखंडसक्करामिय-- कम्मप० १४४ गिरि-णिग्गउपइवाहो भावसं० ३१६ गुणकारिओ त्ति भुजड भ० श्रारा० ५७३ गिरि-तड-वेदीदारं तिलो. प. ४-१३६० गुणगणमणिमालाए भावपा० १५८ गिरि-तड-वेदादारे निलो० ५० ४-१३३५ गुणगणविहूसियंगो मोमरखपा० १०० गिरि-तुरियं पढमतिम- तिलो० सा० ७४६ गुणगार-भागहारं जबू०प०१०-१. गिरि-दीहो जोयणदल- तिलो० सा० ७३० गुणगारा पणणउदी तिलो० ५० १-२४५ गिरिपहुदीणं वासं तिलो० मा० ७५२ गुणगारेण विभत्त जंद० प०५-७ गिरिपहु सिरिधरणामा तिलो. प०५-४१ गुण-गुणिश्राइचउक्के + दध्वस० णय० १६० गिरिबहुमज्झपदेसं तिलो० ५० ४-१७१३ गुण-गुणिपज्जय-दवे * णयच०४६ गिरि-भ६साल-विजया तिलो० ५० ४-२६०२ गुण-गुणिपज्जय-दब्वे- दयप. य. २१६ गिरि-भद्दसाल-विजया तिलो० ५० ५-०८२० गुण-गुणियाइचउक्के + एयच० २० गिरि-भद्दसाल-विजया- तिलो० सा० ७५१ गुणजीवठाणरहिया गो० जी० ७३३ गिरि-मत्थयत्थ-दीवा तिलो० सा० ११६ गुणजीवादिपरूवण सुदखं०८४ गिरि-रहिदपरिहिगुणिद तिलो० सा० ६३१ गुणजीवा पज्जत्तीx पंचसं० १-२ गिरि-वरकूडेसु तहा जंवू० ५० ३-६६ गुणनीवा पज्जत्तीx गो० जी० २ गिरि-वरसिहरेसु तहा जवू० प० ७-१२ / गुणजीवा पज्जत्ती गो० जी० ६७६ गिरि-वरिसाणं विगुणिय तिलो०प० ४-१७४८ | गुणजीवा पज्जत्ती गो० जी० ७२४ गिरि-सरि-सायर-दीवो मावसं० २०८ तिलो० प०३-१८३
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy