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________________ ग खेरसुरराये हिं खेल पडिदमप्पाणं खेलो पत्तो सिंभो खेस्सठिय चरखंड atarra खोभेदि पत्थरो जह ग इ-दिय-तित्यंते गइ-इंद्रिय च काए इ-इंदियं चकाए * इ-इदिये च काये गइ-इंदियेसु फाये * गइउदयजपज्जाया कम्मत्ता गइ चउ दो य सरीर + गइ चउ दो य सरीर + इचरएस भरिणयं गइचउर गुलगमणे परियं गई चेपरिया धम्मो यदि एवं गउ संसार वसंता प्राकृतपद्यानुक्रमणी तिलो० ए०४-१८७६ गजंत-संधि-बंधाभ० श्रारा० ३३६ | गणरणादीदारण तहा भ० थारा० १०४१ | गणरातीदेहिं पुणो तिलो० प० १-१४५ | गणणा देयपदेसगतिलो० प०५-१६ गणरक्खत्थं तम्हा भ० थारा० १०७२ | गणराय-मति - तलवरगणरदेवादी गणहरदेवेण पुणो हरवलये पुण गणरवहादी गगरणयरजुवइ मज्ज गणं दुविपयारं गगणं सुज्जं सोम गच्छइ विसुद्धमाणो गच्छच्चयेण गुणि गच्छदि मुहुत्तमेके गच्छदि मुहुत्तमेके गच्छसमा तक्कालियगच्छसमे गुणयारे गच्छंहि (हि) केइ पुरिसा गच्छा पालणत्थं गच्छिज्ज समुद्दस्स वि गच्छेज्ज एगरादियगच्छेदि जोइ गणे गच्छे वेब्जाव ८३ भ० श्रारा० १६५० | गव्भजजीवाणं पुरा ५० रा० २७४ | गव्मणपुइत्थिसरणी भ० श्रारा० ६७४ | गभाईमरणंतं भ० रा० ४०३ | गव्भादो ते मरणुया तिलो० प० ४-४०३२ |गन्भादो ते मणुया मूला० १७४ गव्भावरण उच्छव वसु० सा० ४१३ जंबू० प० ४-२० जबू० प०२-२०० लद्धिसा० ४६४ भ० आर० १६६० तिलो० प० १-४४ तिलो० प०८-२६५ जबू० प० १३-१४१ गाणसा० २७ छेदपिं० १७८ पंचसं ० ०१ - २०७ |गणिउवएसामयपाबोधपा० ३३ | गणिकामहत्तरीओ पंचस० १-५७ | गणिका महत्तरीगं मूला० ११६७ गणिया चत्तवि गो० जी० १४९ गणिया सह संला भ० श्रारा० १७४ गो० जी० १४५ | गणिणिज्जक्खसुलोया (?) तिलो० प० ४ - ११७८ पंचमं० १-५६ | गणिया महत्तरीगं तिलो० प० ८-४३४ पचस० २-१२ गतनम मनगं गोरम पचस० १ - २३६ | गत्तापञ्चागढं उज्जपचसं ० ५- १८६ | गदरागदोसमोहो जोगिभ० २१ | गदिया आउउदओ सम्मइ० ३ - २६ गदियादिजीवभेद x दवस ० १७ | गदिआदिजीवभेदं x पंचसं० ४-३२३ |गदिआदिमग्गरणाओ परम० प० १-६ गदिजादी उस्सास जबू० ० ४ - ११५ | गदिजादीउस्सा -- द्रव्वम० णय० १४१ | गदिठाणोम्गह किरियातिलो० प० ८-१० | गदिठाणोग्गहकिरियावसु ० सा० ५२० | गठिणग्गाहरणकातिलो० प०८-१६० गदिठिदिवट्टरणगहणा तिलो० प० ७ - १८२ | गढिणामुदयादो [चउ ] तिलो० प० ७-२६५ गदिमधिगटरस देहो गो० जी० ४१७ गदियादिसु जोगाए तिलो० प० ३-८० गद्दापहारविद्धो भ० श्रारा० १४७६ तिलो० सा० २७१ तिलो० सा० ५०५ छेदपि ० ४ १ गो० जी० ३६२ भ० श्रारा० २१८ भ० श्रारा० २१४३ गो० क० २८५ गो० क० १२ कम्मप० १२ मूला० ११८८ गो० क० ५१ कम्मप० १२२ गो० जी० ६०४ गो० जी० ५६२ मूला० २३३ दन्द्रस० णय० ३४ भावति० १७ पंचस्थि० १२६ गो० क० २८४ धम्मर० २३ गो० जी० ८७ गो० जी० २५६ भावसं० १७४ जंबू० प० १०-८० तिलो० प० ४-२५१० अंगप० २- १०५
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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