SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुरातन-जैनवाक्य-सूची - एइकलउ इंदियरहियउ __ जोगसा० ८६ / एक चेव सहस्सा तिलो० ५० ४-११३५ एक्कवरसेण उसहो तिलो० ५० ४-६७० एक छचउअट्ठा तिलो. प०४-३८५ एक्कविहीणा जोयण- तिलो० प० २-१६६ एक छएणवणभए- तिलो०प०४-२५६३ एक्कसमएण बद्धं ** भावसं० ३२८ एक्कं जोयणलक्खं तिलो० प०४-१७३७ एक्कसमएण बद्धं * कम्मप०२५ | एक जोयणलक्खं तिलो प०४-१७५१ एक्कसय उणदालं तिलो० ५० ७-६०५ / एक जोयणलक्खं तिलो० ५० ४-२५८६ एक्कसयं पणवण्णा तिलो०प०४-२४८० एक जोयणलक्खं तिलो० प०४-२६०४ एक्कसया तेसट्ठी तिलो. प०५-५३ | एक जोयणलक्खं तिलो. प० ७-१५१ एकसयेणभहियं तिलो० प०४-११३२ एक जोयणलक्खं तिलो. प० ७-१५४ एक्कसहस्सटुसया तिलो. प० ४-१६४ एक जोयणलक्खं तिलो० ५० ७-१५५ एक्कसहस्सपमाणं तिलो. प०८-२३३ एक जोयणलक्खं तिलो. प०७-१५६ एक्कसहस्सं अडसय- तिलो. प० ४-४२१ एक जोयणलक्खं तिलो० ५०.७-१८१ एक्कसहस्सं गोउर- तिलो० प० ४-२२७१ एक जोयणलक्खं तिलो० ५०७-२४१ एक्कसहस्सं चउसय तिलो० ५० ४-११२३ एक जोयणलक्खं तिलो० प०७-२६७ एक्कसहस्सं तिसयं तिलो० प० ४-४३० | एक जोयणलक्खं तिलो० प० -८१ एक्कसहस्सं पणसय- तिलो० प०४-१७०४ एक जोयणलक्खं तिलो०प०८-४४१ एकसहस्सा सगसय- तिलो० प०४-११४६ एक जोयणलक्खा तिलो० ५०२-१५५ एक्कस्सि गिरि विड(दु ?), तिलो०प० १-२४६ एकंततेरसादी तिलो. प० २-३६ एकहि इंदियमोक्कलउ सावय० दो० १२८ एक तालं चउगुणि- तिलो०प०४-28 एक एक्कम्मि खणे भावसं० ६७३ एकं तालं लक्वा तिलो० प०४-२८२६ एक कोदंडसयं तिलो० ५० २-२६४ | एकं तु उडुविमाणं जवू० ५० ११-१६४ एक कोदंडसयं तिलो० प० २-२६३ / एकं पंडिदमरणं मूला० ७७ एक कोसं गाढो तिलो. १०४-१६४८ | एक पि अक्खरं जो भ० धारा० ६२ एक खलु अट्टकं __ गो० जी० ३२८ | एक पि णिरारंभं । कत्ति० श्रणु० ३७७ एक्कं खलु तं भर्त पवयणसा० ३-२६ / एक्कं पि वयं विमलं कत्ति० अणु० ३७० एक खंडो भरहो जंबू० प०२-६ एक्कं पि साहुदाणं जंबू० प०१७-३५७ एक च ठिदिविसेसं कसायपा० १५५ (१०२) एक्क (एक) पुण संतिणामो भावसं० १४१ एक च ठिदिविसेसं कसायपा० १५६ (१०३) एक्कं लक्खं चउसय- तिलो० प० ७-११७ एकं च ठिदिविसेसं लद्धिसा० ४०१ / एक्कं लक्खं णवजुद- तिलो० प० ७-३७८ एकं च तिएिण तिरिण य जंवू० ५० ११-४१ / | एक्कं लक्खं पण्णा- तिलो० ५० ७-२४० एक्कं च तिरिण पंच य गो० क० ७६३ | एक्कं व दो व तिएिण य भ० श्रारा० ४०२ एकं च तिरिण सत्त य जंबु० ५० ११-१७७ / एक्कं व दो व तिगिण व गो० क० ५८४ एक च दोरिण तिरिण य समय० ६५ / एक्कं वाससहस्सं तिलो. प० ४-१२६८ एकं च दो व चत्तारि पंचसं० ५-२८ एक्कं समयजहएणं तिलो० ५० ४-२६१४ एकं च दो व चत्तारि पंचसं०५-२६६ एक्स गो० जी० २५३ एक्कं चयदि सरीरं कत्ति० अनु० ३२ / एक्कंहि(म्हि)य अणुभागे कसायपा० ६६ (१३) एक च सयसहस्सं तिलो० प० ७-५०६ / एक्काई पणयंतं पंचस०४-२४८ एक चिय होदि सयं तिलो० ५० ४-२०४६ एकाउस्स तिभंगा 'गो० क० ६४५ एकं चेव सहस्सा तिलो. ५० ४-११२६ / एका कोडी एक्क तिलो०प०८-२३६ एक चेव सहस्सा तिलो०प०४-११२६ एक | एक्काणवदिसयाई सिलो०प०४-१११७
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy