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________________ पुरातन-जैनवाक्य-सूची ई इंदियपसरु णिवारिय इंदिय पंच य काया इंदिय पंच य काया इंदिय पंच य काया इंदिय पंच य काया इंदिय पंच य काया इंदिय पंच वि काया इंदिय पंच वि काया इंदिय पंच वि फाया इंदिय पंच वि काया इंदिय पाणो य तधा इंदिय-बल-उस्सासा इंदिय-मणस्स पसमजइंदिय-मणोहिणा वा इंदिय-मणोहिया वा इंदियमयं सरीरं इंदियमय सरीरं इंदियमल्लाण जो इंदियमल्लेहि जिया इंदियमेओ काओ इंदियमेश्रो काओ इंदियमेओ काओ इंदियमेओ काओ इंदियमेश्रो काओ इंदियमेश्रो काओ इंदियमेश्रो काओ इंदियमेश्रो काओ इंदियवाहेहि हया इंदियविसय चएवि वढ इंदियविसयवियारा इंदिविसयवियारा इंदियविसयविरामे इंदियविसयसुहाइसु इंदियविसयादीदं इंदिय-समिदि-अदंतवइंदियसामग्गी वि अइंदियसुहसाउलश्रो इंदियसेणा पसरह इंदियसोक्खणिमित्तं इंदु-रवीदो रिक्खा पाहु० दो० १६६ | इंदो तह दायारो वसु० सा० ४०२ पंचसं० ४-१४८ इदो वि देवराया जंवृ०प०४-२४८ पंचसं० ४-१५२ | इंदो वि महासत्तो जंबू० ५० ४-१५१ पंचसं० ४-१५४ पंचसं० ४-१६८ पंचसं०४-१७१ पंचसं० ४-१६४ / ई-उ-घटन अलिकूला । प्रायः ति०१७-१५ पंचसं० ४-१६ | ई-ऐ-ौ उड्ढमुहा श्राय०नि०१-१५ पंचसं० ४-१८ ईसप्पभाराग म. थारा० २१३३ पंचसं० ४-१६१ ईसर-बंभा-विण्हू मूला० २६० पवयणसा०२-१४ । ईसाप-दिगिंदाणं तिलो० ५०-५३६ मूला० ११६२ ईसाणदिसाभाए तिलो० प०४-१७२८ दवस० णय० ३६७ ईसाणदिसाभाए तिलो० प०४-१७६३ गो० जी० ६७४ | ईसाणदिसाभागे ___ जंव० ५० ४-१४५ पंघसं० १-१८० तिलो० प०४-२७७८ श्रारा० सा० ३४ ईसाणम्मि विमाणा तिलो० प०८-३३५ भ० धारा० १३६३ तिलो० ५०-५६५ श्रारा० सा०२३ तिलो० सा० ५३१ श्रारा० सा०५६ जंय० प०११-३१८ पंचसं०४-१३६ तिलो० ५०८-५१५ पंचसं० ४-१४१ | ईसाणिंद-दिगिंदे तिलो० ५०-५१४ पघसं०४-१४४ | ईसाणिंदपुरादो जबू०प०११-३२३ पंचसं० ४-१५६ ईसाणिंदो वि तहा जंबू०प०४-२६७ पचसं०४-१६० | ईसाभावेण पुणो णियमसा० १८६ पचसं०४-१७७ | ईसालुयाए गोवव- भ० बारा० १५० पंचसं० ४-१७६ ईहणकरणेण जदा गो० जी० ३०८ पंचसं० ४-१८२ ईहापुव्वं वयणं णियमसा० १७४ श्रारा० सा० ५३ ईहारहिया किरिया भावसं०६७१ पाहु० दो० २०२ ईहियअत्थरस पुणो जं० ५० १३-५६ श्रारा० सा० ५५ भावसं० ६३० तच्यसा०६ रयणसा० १३८ उअसग्गभवे दिढे प्रायः ति० - णाणसा०४२ | उइओ भमिश्रो भामिय. रिट्ठस० २२६ छेदपि० १२८ । उकवेन्ज व सहसा वा भ० भारा० ४३३ भ० श्रारा० १७२१ । उक्कादि जे अंसे लद्धिसा. ४०० म० श्रारा० १८६ उक्कट्टदि पडिसमयं लद्धिसा० ६२६ आरा० सा० ५८ | उकट्टदि पडिसमयं लद्धिसा० ६३३ दवस० णय० ३३१ उक्कट्टेहि विहूणं जंबू० प० २-२७ विलो० सा० ४०४ / जक्कट्टिदइगभागं लद्धिसा० १०४
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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