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________________ अ अरविवरसंठियारिण अरविंदोदरarur अरस- अरू - अगंधो - अरसमरूवमगंधं श्ररसमरूवमगंधं - अरसमरूवमगंध अरसमरूवमगंधं - श्ररसमरूवमगंधं अरस च अण्णवेला अर-संभव- विमलजिणा घडी-सरसी अरहंतचरणकमला अरहंत मोक्कारं अरहंत मोक्कारो अरहंत परमदेव अरहंत परमदेवा अरहंत परमदेवेहिं अरहंत परमदेवो अरहंतभत्तिया इसु अरहंतभासित्थ अरहत-सिद्ध- आइरिय अरहंत सिद्ध केवल अरहंत सिद्धचेइयअरहंतसिद्धचेइयअरह सिद्धचेदियअरहंत सिद्धचेदिय अरहंत सिद्धचेदिय अरहंत सिद्धचेदिय अरहंत सिद्धचेदियअरहंत सिद्धपडिमा अरहंत सिद्धभत्ती अरहंतसिद्धसागरअरहंत सिद्धसाहुसु अरहंत सिद्धसाहू अरहंतासु भत्तो अरहंतासुराणं अरहंता जे सिद्धा रहता पडिमा अरहंतादिभत्त हंतादि भत्तो प्राकृतपद्यानुक्रमणी जंबू० प० ११-८ | अरहंतादिसु भत्तो जंबू० प० ३ - ५७ | अरहंतु वि दोसहि रहिउ कल्लाणा० ३६ | अरहंतु वि सो सिद्धु फुड पचस्थि० १२७ | अरहते सुदिट्ठ समय० ४६ | अरहतेसु [य] भत्ती भाव० ६४ | अरहंतेसु य रात्र मिसा० ४६ अरहंतो य समत्थो अरहाणं सिद्धाणं १७ भ० श्रारा० ७४४ गो० क० ८०२ | अलिएहिं हमियवय रोहिं कम्मप० १४८ | अलिचुंत्रिएहिं पुज्नइ कम्मप० १६० सावय० दो० ५ जोगसा० १०४ मूला० २५ लिय कसायहि मा चवहि भ० रा० ३१७ | अलियमरणवयणमुभयं भ० श्रारा० ५५८ | अलियवयपि स पचत्थि० १३६ | अलियस्स फलेग पुगो भावति० ११५ | अलियं करेइ सवहं पंचसं० ४-२०६ अयं परणीयं रिस० १८५ श्रलियं स किंपि भरिणयं ढाढसी० १२ अवकहडामठपरता जंबू० प० ६-११२ | अवगदमारणत्थंभा पवथणसा० ३-४६ | अवगदवेद सयअवयवेदो संतो गो० क० ८०६ बोधपा० ४ सीजपा० ४० विलो० प० १ - १६ र जिय जिपइन्ति करि परम०प०२-१३४ मूला० ५७० ढाढसी० २२ पवयणसा०२ - ८० भ० भा० २१६ तिलो० प० ४-६०८ | अरि जिय जिवरि मणु ठवहि भ० आरा० ५६२ | अरि मरणकरह म रइ करहि . जंबू० प० ६-११४ अरिहंति णमोक्कारं मूला० २०६ | अरिहंति वदराराम - भ० श्रारा० ७५५ अरिहादितिगंतो धम्मर० १३७ | अरिहे लिंगे सिक्खा जंबू० प०२-१७७ | अरिहो संगञ्चाओ जबू० प० ६-१६५ | अरुणवरणामी श्र जबू० प० १३–६० | अरुणवरदीवबाहिरवसु० सा० ४० stotrarataबाहिरसुतपा० १ अरुणवरवारिरासिं भ० श्रारा० ६०६ | अरुणो तिगोण दहणो भ० श्ररा० १६३३ | अरुहाई पडिमं हा सिद्धाइरिया भ० श्रारा० ४६ पंचस० ४-२०२ पंचस्थि० १६६ हा सिद्धाइरिया बा० अ० १२ मोक्खपा० १०४ पंचत्थि० १७१ हा सिद्धाइरिया अरुहा सिद्धायरिया पचगु० भ० ७ अरे जिउ सोक्खे मग्ग स परम०प०२ - १३४ ( बा० ) भ० श्रारा० ६६६ पाहु० दो० १३४ पाहु० दो० ६२ मूला० २०१ मूला ५६२ भ० श्रारा० २०३८ भ० श्रारा० ६७ श्रारा० सा० २२ तिलो० प०५-१७ तिलो० प० ८-६०६ तिलो० प० ८-५६६ तिलो० प०५-४७ श्राय ० ति० १ वसु० सा० ४०८ कलाणा० २४ भावसं० ४७३ सावय० दो० ६१ श्रास० ति० १८ कत्ति० श्र० ४३२ धम्मर० ५१ वसु० सा० ६७ वसु० सा० २०६ भ० आर० ८४७ रिट्स० २३६ मूला० ८३४ कसायपा० ४५ लद्धिसा० ६०४
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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