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________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी - अटु य छञ्चदु दोरिण य छेदपिं० ३१ | अट्ठसमयस्स थोवा अट्ठय पणटुसोया जबू०५. ११-२३६ अट्ठसयचावतुगो अट्ठ य बंधहाणा पंचस० ४-२५२ | अट्ठसयजोयणाणि अट्ठ य सत्त य छूक य पचसं०५-३१ अट्ठसय णमोकारा अट्ठ य सत्त य छक्क य पचस० ५-३८६ | अट्ठसय अट्ठसय अट्ट य सत्त य छक्क य गो० क० ५०८ | अट्ठसयं अट्ठसय अट्ठ य सत्त य छञ्चदु छेदपिं० ३७ | अट्ठसया अडतीसा अट्ठरस महाभासा सिलो. प०१-६१ अट्ठसया पुव्वधरा अट्ठरस महाभासा तिलो० ५० ४-८६६ | अहसहस्सभहिय अट्ठरस मुहुत्ताणिं तिलो. प. ७-२८६ अट्ठसहस्सा चउसयअट्टरसं अंताणे (णिं) तिलो० ५० १-१२३ | अट्ठसहस्सा णवसयअट्ठ वि कम्मइ बहुविह: परम० ५० १-५५ | अट्ठसहस्स अट्ठ वि गन्भज दुविहा कत्ति० अणु० १३१ अट्ठसहस्सा य सदं अवियप्पं साहिय- तिलो० ५० १-२६७ | अट्ठसहरुमहिं तहा अवियप्पे फम्मे समय० १८२ अट्ठस असंजयाइसु अट्ट वि सरासपाणिं तिलो० ५० २-२३१ अहसु एक्को बधो अट्ठविहश्रवणाए भावस० ४५५ / अट्ठसु एयवियप्पो अविहफम्मजुसो अंगप०१-२७ अट्टविहफम्ममुक्का जंबू० प० ११-३६४ / अट्टहॅ फम्म बाहिरउ अट्टविहकम्ममुक्के सिद्धम० १ | अटुंगणिमित्तमहाअट्टविहकम्ममूलं मूला० ८८२ | अट्ठ छक ति अटें अट्ठविहकम्मरहिए जंबू० ५० १-२ | अटुं तालं दलिदं अट्टविहफम्मवियडा धम्मर० १६१ | श्र8 बारस वग्गे अटुविहकम्मवियडा पचस० १-३१ अटुं सोलस वत्तीअट्टविहकम्मवियला गो० जी० ६८ अट्ठाणउदिविहत्तो अट्टविहकम्मवियला तिलो. प० १-१, | अट्ठाणउदी जोयणअट्ठविहच्चण काउं भावस. ४६६ अट्ठाणउदी रणवसय अट्ठविधाउ णिच्चे ढाढसी०३ अट्ठाणवदिविहत्ता अट्ठविहमंगलाणि य वसु० सा० ४४२ अट्ठाणवदिविहत्तं अट्टविहसत्तछब्ब गो. क. ६२८ | अट्ठाणवदी णवसयअट्ठविहसत्तछब्ब पचस०४-२१६ / अट्ठाण वि पत्तेक्क अट्टविहसत्तछब्ब पचस०५-४ अट्टाणं एकसमो अट्ठविहं पि य कम्म समय०४५ अट्ठाणं पि दिसाणं अट्ठविहं वेयंता पंचस. ४-२२५ अट्ठाणं भूमीणं अट्ठविह सव्वजगं तिलो० ५० १-२१४ / अट्ठादिज्जा दीवा अट्ठविहा कयपूया सुदख०६७ अट्ठारस कोडीओ अट्ठसगछक्कपणचउ- विलो० प०२-२८६ ।। अट्ठारस चोदसगं अट्ठसगसत्तएका तिलो० पु०-३३५ अट्ठारस छत्तीसं अट्ठसदं देवसियं मूला० ६५७ अट्ठारस जोयणया अट्ठसदा(या) बादाला जबू०प०११-१३ । अट्ठारस जोयणाई गो० क. २४३ तिलो० प० ४-४३६ तिलो० ५० ७-१०४ छेदपि । जबू० प०६-१६० जंबू० ५० ५-३३ विलो० प. ८-७६ तिलो. प०४-११३६ तिलो० ५०४-१९७० तिलो. प०४-२१३६ तिलो. प०४-१९E. तिलरे. प.८ ३८२ पचस०५-३६१ जबू०प०५-११३ पसं० ५-२१५ गो० ० ६५३ पचसं० ५-६ पचसं०५-२६१ परम० ५० १-७४ सुदख० ४७ सिलो. १७-३१४ तिलो.पं०२-७१ तिलो. प. १-२३१ तिलो. प०३-१५२ तिलो० ५० १-२१० तिलो. प० २-१८४ तिलो. प० २-१७७ तिलो० ५० १-२५७ तिलो० ५० १-२४२ तिलो. प०२-१८५ तिलो. प०६-१८ तिलो० ५० ४-२२६३ तिलो. प० २-५७ तिलो० प०४-७२६ जंबू० ५० १३-१५२ तिलो० ५० ४-१३८८ कसायपा०५१ गो० जी० ३५७ विलो० प० ७-४१५ तिलो० प० ४-२७३७
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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