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________________ 1. 2. मेरुतुंगकृत प्रबन्धचिन्तामणि 3. राजशेखर का प्रबन्धकोश जिनमण्डन उपाध्याय का कुमारपाल प्रतिबोध ! 4. प्रभाचन्द्रवरि का प्रभावकारित इन विभिन्न ग्रन्थों ते तहायता लेने के अतिरिक्त स्वयं हेमचन्द्र द्वारा रचित द्वयाश्रय काव्य, सिदुहेमव्याकरण की प्रशस्ति, "त्रिषष्टिशलाका पुरूषचरितान्तर्गत", महावीरचरित" आदि से भी डा बूल्हर ने हेमचन्द्र के जीवन के साक्ष्य एकत्रित किये हैं। इनके अतिरिक्त हेमचन्द्र के जीवन पर प्रकाश डालने वाले निम्न ग्रन्थ भी सामने आये हैं - 1. 2. 11 सोमप्रभ सूरिकृत “कुमारपाल प्रतिबोध" यशपालकृत मोहराजपराजय 3. पुरातनप्रबन्धसंग्रह (अज्ञात) उपर्युक्त तीन ग्रन्थों में प्रथम दो हेमचन्द्र के समकालीन ग्रन्थ हैं अंतिम " पुरातन प्रबन्ध संग्रह अनेक विवरणों का एकत्र संकलन मात्र है। पूर्वोक्त ग्रन्थों में सोमप्रभसूरिकृत "कुमारपालप्रतिबोध" हेमचन्द्र की समसामयिक रचना होने के कारण उनकी जीवनविषयक प्रामाणिक सामग्री दे सकती थी पर लेखक स्वयं ही इस बात को स्वीकार करता है कि उसने हेमचन्द्र तथा कुमारपाल के जीवन से सम्बद्ध उन्हीं घटनाओं को लिया है जिनका संबंध
SR No.010447
Book TitlePramukh Jainacharyo ka Sanskrit Kavyashastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmi Pant
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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