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________________ ALPHABETICAL INDEX OF THE kārikiis OF THE ABHISAMAYALANKĀRA. (Numbers refer to Pages ) । पालम्बन सर्वधर्माः, 76. चालम्बनं मर्वसत्त्वा, 401. चालम्बनं समुदेशः, 20. चालम्बनमभावः, 513. बालम्बन चाकारात्, ++. पालम्बममित्यादि, 52. चालम्बनोपपत्तौ, 516. चावेणिका मुनेः, 523. शासनबोधे, 307. इति कारित्रवैपुल्य, 525. इति सेय, 284. अक्षज्ञान, 99. अक्षयाकारतायां, 341. अग्रधर्मगत, 138. अचिन्त्यशान्तता, 345. चचिन्त्यातुल्यता, 357 अचिन्त्यादि, 346 चटप्तता अते, 96. अदृश्यचित्तज्ञाने, 341 अध्यात्मन्यता, 14.9 अधिमुक्निम्विधा, 213. चनाभोगम्, 362. अनाभोगमनामग, 524 चनावादश्च, 357 चनावाणां सर्वेषां, 518. चनिमित्त, 396. अनुगहो यो धर्माणां, 58. चनु पूर्वो गताः,531 अनुपायेन, 268. अनुत्पादक्षमा, 999 अनुत्यादन्त, 508. चपरप्रत्ययो, 278. पप्रमेये च सत्त्वार्थे, 534. चभिभ्वायतन, 522. घरघट्ट यथैकापि, 518 विकारो न, 278. अष्टाङ्गोपेत, 446. असंसर्गा, 283. समस्कार, 343. असनोऽनुपलम्भय, 453. सदाकार, 288. चममत्वे च,512. उदागममत्त्व, 102. उद्देशे षड्ख भिज्ञासु, 83. उद्देशे ममतायां, 115. उत्पादे च, 439. उपायानुपलम्भाभ्यां, 249. जयामूर्दासु, 411. एकद्वित्रिचतुः, 503. एकैकस्यैव दानादौ, 501. एको ग्राह्यविकल्पो, 506. एवं कृत्वा, 274. करोति येन, 532. करौ सूलमृदू, 531. कामाप्तमवधौलत्य, 50:3. कायचेतो, 418. कारित्रमधिमुक्तिश्च, 22. कुस्तजात्योश्च, 100. केशा अपरषा, 532. कृताधिकारा, 297. कृते च वस्तुनो, 510. कृत्वा पुण्यबडवेन, 513. थाकाराः मप्रयोगाच, 23. चात्मसत्त्वग्रहो, 98. चाधाराधेयता, 172. चायतश्लतण, 531.
SR No.010445
Book TitlePrajnaparamitas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGieuseppe Tucci
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1932
Total Pages677
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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