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________________ ७६ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । निवासीने पुरानी कनड़ी में एक यहांके राजाओंका इतिहास लिखा है उससे मालूम हुआ कि शाहपुर और बेलगामको जीर्ण शीतपुर कहते थे । यहां सामंतपट्टन नगरके अधिपति जैनीराजा कुन्तमय रहते थे जो बडे धर्मात्मा तथा दयावान थे। इनके राज्यमें सब लोग प्रसन्न थे । एक दिन एकसौ आठ १०८ जैन साधु अनगोतू (जो हखगिरिका प्राचीन नाम था) के वनमें दक्षिणसे आए और रात्रिको ध्यानस्थ बैठे । राजा कुन्तमराय अपनी रानी गुणवती के साथ रात्रिको ही बंदनाके लिए गए । मसालोंकी लपकोंसे वनमें अग्नि लग गईं वे साधु ध्यान से न उठे अग्निमें ही दग्ध होगए | इसलिये राजाने यह दड लिया कि १०८ जैन मंदिर बनवाऊंगा । जहां किले में अब कुछ जैन मंदिर पाएजाते हैं वही उसने १०८ मंदिर बनवाए। उसकी स्त्री गर्भस्था थी उसने बेलगामका नाम वंसपुर रक्खा । कुछ काल पीछे बेलगाम में सावंतबडीका राजा कुन्तमका पुत्र शांत बहुत प्रसिद्ध हुआ । यह जैनधर्मका पंडित था, बहुत वीर तथा जैन साधुओं का रक्षक था। इसने जैन मंदिरों में बहुत धन लगाया । इसकी चौदह स्त्रिये थीं उनमें मुख्य पद्मावती थी जो बहुत प्रसिद्ध थी इसके पुत्रका नाम अनन्तवीर्य था। शांत एक दफे यातूर के पास सुदर्शन नदीमें स्नान करनेको गया वहां बिजली गिरने से मरणको प्राप्त हुआ । तब मंत्रियोंने अनंतनोर्थको राजा स्थापित किया । कुछ काल पीछे इसी वंशमें राजा मल्लिकाभुंग हुआ। इसीके समय में प्रसिद्ध मुसल्मान असदखांने कपटसे वेलगामका राज्य ले लिया और १०८ मंदिरोंको ध्वंश करके किला बनाया ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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