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________________ खानदेश जिला। ब्राह्मण मंदिरके आगे १०० गजकी दूरीपर एक ध्वंश जैन मन्दिर है मिसके द्वारपर एक पद्मासन जिन मूर्ति है। भीतर वेदी खाली है परन्तु नक्काशीका काम अच्छा है । नागार्जन की कोठरी नामकी जो तीसरी गुफा है जो गांवके ऊपर ही है उसमें वरामदा है भीतर गुफा है यह जैनियोंकी खुदाई हुई है इसमें बहुतसी दिगम्बर जैन मूर्तियां हैं। नागार्जुन कोठरीका वरामदा १८ फुटसे ६ फुट है दो स्तंभ हैं । भीतरका कमरा २० फुटसे १६ फुट है । गुफाके बाहर इन्द्र इन्द्राणी वैसे ही स्थापित हैं जैसे एल्टूराकी गुफामें हैं। पीछेकी दीवालमें कुछ ऊंची वेदीपर एक जैनतीर्थंकर की मूर्ति है जो एक कमलपर विराजित है । आसनके पीछे दो हाथियोंके मस्तक अच्छे खुदे हुए हैं । आसनमें दो खड़गासन जैन मूर्तियां हैं, दो चमरेन्द्र हैं। विद्याधरादि बने हैं। प्रतिमाजीके ऊपर तीन छत्र शोमायमान है । इस प्रतिमाके थोड़े पीछे एक पद्मासन जैन मूर्ति २ फुट ऊंची है । दक्षिण भीतपर कुछ पीछे एक पूरी मनुष्यकी अवगाहनामें कायोत्सर्ग जैन मूर्ति है भामण्डल, छत्रादि सहित है। ___यह गुफा एल्लूराकी सबसे पीछेके कालकी गुफाके समान है शायद यह ९ मी या १० मी शताब्दीकी होगी । पाटन ग्राममें कई ध्वंश मंदिर हैं जिनमें १२ वीं ब १३ वीं शताब्दीके देवगढ़के यादवोंके लेख हैं। (७) अजन्टा गुफाएं-फर्दापुरसे ३॥ मील दक्षिण पश्चिम तथा पांचोरा रेलवे स्टेशनसे ३४ मील। यहां दूसरी शताब्दी पूर्वसे ८ वीं शताब्दी तककी गुफाएं हैं नं• ८ से १२ तक पांच गुफाएं
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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