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________________ खानदेश जिला । (१६) खानदेश जिला । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है: - उत्तर में - सतपुरा पर्वत और नर्मदा नदी, पूर्व में बरार और नीमाड़, दक्षिणमें - सातमाल, चांदोर या अजंटा पहाड़िया, दक्षिण पश्चिम-नासिक जिला । पश्चिममें बड़ौधा और रीवाकांठा में सागवाड़ा राज्य । इसमें स्थान १०० ४१ वर्गमील है । [ ५३ इसका इतिहास यह है कि यहां १५० सन् ई० से पूर्वका शिला लेख मिला है - यहां यह दंतकथा प्रसिद्ध है कि सन् ई० से बहुत समय पहले यहां राजपूतोंका वंश राज्य करता था जिनके बड़े अवध से आए थे । फिर अंधोंने फिर पश्चिमी क्षत्रपोंने राज्य किया । ५वीं शताब्दी में चालुक्यवंशोंने बल पकड़ा फिर स्थानीय राजा राज्य करने लगे--यहां तक कि जब इधर अलाउद्दीन आया था तब असीरगढ़ के चौहान राजा राज्य करते थे । मुख्य प्राचीन जैन चिन्ह (१) नंदुरबार नगर व तालुका - तापती नदीपर यह बहुत ही प्राचीन स्थान है। कन्हेरीकी गुफाके तीसरी शताब्दीके शिलालेखमें इसका नाम नंदीगढ़ हैं। इसको नंद गौलीने स्थापित किया था यहां शायद कोई जैन चिन्ह मिले । - (२) तुरनमाल-तालुका तलोदा । पश्चिम खानदेश सतपुरा पहाड़ियोंकी एक पहाड़ी । यहां एक समय मांडूके राजाओं की राज्यधानी थी । यह पहाड़ी ३३०० से ४००० फुट ऊंची है १६ वर्गमील स्थान है । पहाड़ीपर झील है और बहुतसे मंदिरोंके अवशेष हैं। इनको लोग गोरखनाथ साधुके मंदिर कहते हैं । ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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