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________________ मंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। नए मंदिरज़ी में ले गए हैं । इस मंदिरकी एक प्रतिमा पर संवत १६६६ है व नए मंदिरकी प्रतिमा पर सं० १८६८ है । (११) पंचासुर-संकेश्वरसे दक्षिण ६ मील । यह गुजरातके सबसे प्राचीन नगरोंमेंसे एक है। ११०० वर्ष हुए यहांके प्रसिद्ध जयशेषर राजाको भुवर राजाके आधीन दक्षिणकी सेनाने घेर लिया था। यहां जमीनके नीचेसे बड़ी २ पुरानी ईटे निकली हैं। (१२) चन्द्रावती-राहोसे उत्तर पूर्व १५ मील । पर्वत आबूके नीचेसे थोड़ी दूर-यह संगमर्मरका पुराना सुन्दर नगर था। यहां एक स्थानपर १३६ मूर्तियें विराजमान हैं। नोट-देखना चाहिये । शायद जैन हों। (१३) मोधेरा नगर-छोटी पहाड़ीपर । जैन कथाओंमें इसको मोधेरपुर या मुधवंकपाटन लिखा है । (१४) सोजित्रा-यहां दि० जैन भट्टारकोंकी दो पुरानी गदियां हैं । मूलसंघ और काष्टासंघकी । तीन दि जैन मंदिर हैं। यहां कुछ प्राचीन दि जैन मूर्तियां खभातके मंदिरसे लाकर विराजमान की गई हैं। यहां काष्टासंघके मंदिरजीमें प्राचीन जैन शास्त्र भण्डार है। . ... . . Jio SSPATRAJISODE HINDI
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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