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________________ manna ३२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। Wilkinson's ancient Egyptians II P. 237. फारशकी खाड़ीके नाकेसे भारतके साथ व्यापार बहुत ही पूर्वकालसे होता था। नेवूचडनजर ( सन ई०से ६०६ से ५६१ वर्ष पहले ) ने फारसकी खाड़ीपर बैंक स्थापित किये थे और सीलोन व पश्चिमीय भारतसे व्यापार करता था। भारतको ऊन, जवाहरात, चूना, मट्टी, ग्लास, तेल भेजता था व भारतसे लकड़ी, मसाला, हाथीदांत, जवाहरात, सोना, मोती लाता था। Heeren's historical Rescarches lI P. 209, 247. (७) तारापुर-या चिंचनी, महिम और दाहानू तालुका, महिमसे उत्तरसे १५ मील । यह बहुत प्राचीन नगर है। नासिककी गुफाके पहली शताब्दीके लेखमें इसका नाम चेचिज्ञ आया है । (८) वजाबाई-तालुका भिवंडीमें पवित्र स्थल-भिवन्डीसे उत्तर १२ मील । यहां गर्म पानीके झरने हैं । इसके लिये प्रसिद्ध है । एक पहाड़ीपर सुन्दर देवीका मंदिर है। चैत्रमें मेला लगता है। (९) वशाली-मुखाड़में तालुका शाहापुर--एक छोटी पहाड़ीकी उत्तर और ढालमें एक चट्टानमें खुदा मंदिर है जो १२४१२ फुट है। इमके द्वारके सामने एक आलेके दोनों तरफ दो मूर्तिये हैं हरएक ३ फुट ऊंची है। ये ध्यानरूप हैं द्वारके ऊपर १ छोटी खंडित मूर्ति है। ये मूर्तियें व मंदिर जैनियों । मालूम होता है। देखना चाहिये। नोट-इस जिलेमें और भी जैन चिन्ह अवश्य होंगे जांच होनेकी जरूरत है । जैन शास्त्रोंमें सुपाराका कहां २ वर्णन है यह बात भी संग्रह करने लायक है।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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