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________________ [ २५ सूरत जिला । (७) सूरत जिला । इसकी चौहद्दी इस तरह है-पूर्व में बड़ौधा, राजपीपला, वांसदा धरमपुर, दक्षिणमें थाना जिला और दमान (पुर्तगालका ) पश्चिममें अरब समुद्र उत्तरमें भरुच और बड़ौधा राज्य । यहां । ६५३ वर्ग मील स्थान है । इतिहास - यूनानी भूगोलविशारद टोलेमी : 'tolemy (सन् १९०) लिखता है कि यह पुलिपुला व्यापारका मुख्य केन्द्र था । शायद पुलिपुलासे मतलब फूलपाड़ासे है जो सूरत नगरका पवित्र स्थान माना जाता है । सूरत शहर से पूर्व १३ मीलपर कावरेज के किलेमें हिंदू राजा रहता था जो १३ वी शदी में कुत्तबुद्दीनसे हारकर भाग गया । यहांकी प्राचीनताकी बात यह है कि कुछ मसजिदें प्राचीन जैन मंदिरोंको तोड़कर बनी हैं जैसे रांदेर में जम्मा मसजिद, मसजिद मियां व खारवा व मुन्शीकी मसजिद । -- (१) सूरत शहर - यह मोटे व रंगीन रुईके कपडोंके लिये व रेशमपर सुनहरी व रुपही फूल कामके लिये प्रसिद्ध था। किसी समय जहाज बननेका शिल्प बहुत चढा हुआ था और यह सब पारसियोंके हाथ में था । बड़े २ जहाज जो ५०० से १००० टन बोझा ले जाते थे चीनके साथ व्यापारमें लगे रहते थे । सुरतके शाहपुरवा - ड़ानें घेरेके भीतर जो कड़ीकी मसजिद है वह भी जैन मंदिरके सामानसे बनी है। शाहपुरा, हरिपुरा, सय्यदपुरा व गोपीपुरा में बहुत जैन मंदिर हैं | नोट - यहां दि० व श्ये ० के प्राचीन जैन मंदिर व शास्त्र हैं । सूस्तके कतारगांबके पास वसतिया देवडी है जहां अनु फा ም
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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