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________________ पंचमहाल जिला [१७ - पहाड़ीकी पश्चिम ओर सात नवलखा कोठार हैं जिनपर गुम्बन २१ फुट वर्ग है । उत्तरकी तरफ बहुतसे तालाव हैं और छोटे२ सुन्दर नक्काशीदार जैन मंदिर हैं। यहां दिगम्बर जैनी प्रतिवर्ष अच्छी संख्यामें यात्रा करने आते हैं। प्रबन्धक सेठ लालचन्द काहानदास नवीपोल बड़ौदा हैं। पर्वतके नीचे भी दि० जैन मंदिर व धर्मशालाएं हैं। चांपानेर-पावागढ़ पर्वतके नीचे वसा हुआ था । इसको अनहिलवाडाके बनराज (सन् ७४६-८०६) के राज्यमें एक चंपा बनियेने बसाया था । पीछे १५३६ में बहादुरशाहके मरण तक यह गुजरात की राज्यधानी रहा । यहां हलाल सिकन्दर शाहका मकवरा (सन् १९३६ का) पुगनी इमारत है । देसार होलमें सोनीपुरके पास। यहां पुराना पत्थरका महादेव नीका मंदिर ... उसकी वगलोंमें नीचेसे ऊपर तक जो सुन्दर खुदाई है वह पुराने गुजराती ब्राह्मण व जैन इमारतोंसे लगाई दाहोद-गोधरासे ४३ मील प्राचीन नगर था। सन् १४१९ नक बाहरिया राजपूतोंके पास रहा । सुलतान अहमदने डूंगर रानाको हराकर ले लिया । सन् १९७३में बादशाह अकबर स्वामी हए। सन १७५० में सिंधियाके पास आया। यहां गवर्नर रहता था व १७. ५। एक बड़ा नगर था, सन् १८४३ में इंग्रजोंने कबना किया । यहां औरंगजेब बादशाहके जन्मके सन्मानमें बादशाह शाहजहांने सन् १६१९में कारवा सराय बनवाई थी।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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