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________________ अहमदाबाद जिला। में राजा हुआ । उसका पुत्र चामुण्ड (सन् ९९७) व उसका पोता दोनों साधु होगए । दुर्लभका पुत्र भीडर प्रथम सन् १०२४ में राज्यपर बैठे, सन् १०७२ में वह और उसका बड़ा पुत्र क्षेमराज साधु होगए तब छोटे पुत्र करणने राज्य किया । उसने गिरनार पर्वतपर एक सुन्दर जैनमंदिर बनवाया व इसीने करणवतीनगरी स्थापित की। इसके पीछे इसके पुत्र सिद्धराज (सन् १०९४ ) फिर कुम रपालने सन् ११४३ में राज्य किया। ___अहमदावाद इतना बड़ा नगर था कि एक विदेशी यात्री Mard.ac मैन्डेस्लाक लिखता है कि जिसने सन् १६३८ में अहमदावादको देखा था। “एसियाकी ऐसी कोई जाति व ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो इस नगरमें न दिखलाई पड़े। यहां २० लाख आदमी हैं तथा ३० मीलके घेरेमें वमा हुआ है " ट० ७६ मेंमुसलमानी मसजिदोंमें जैन मंदिरोंका बहुतसा मसाला लगाया गया है। अहमदशाहकी मसजिदमें भीतर जैन गुम्बज है और बहुतसा मसाला किसी मंदिरका है। हैवतखांकी मसजिदमें भी भीतर जैन गुम्बन है । मरद आलमकी माजिद में जैनियोंके खंभे हैं। जिस समय उदयपुरके खुम्बोरानाने सादरामें जन मंदिर बनवाया था उसी समय अहमदशाहने जुम्मामसजिद बनवाई थी। से उस जैन मंदिरमें २४० खंभ हैं वैसे ही इस मसजिदमें हैं। धन्दूका-भाधर नदीके दाहने तटपर, अहमदावादसे उत्तर पश्चिम ६२ मील। यह श्वे. जैनियोंके आचार्य हेमचन्द्रका जन्म स्थान है। हेमचन्द जातिके मोड़वनिये थे। इनके घरमें राजा कुमारपालने एक मंदिर बनवा दिया था जिसको विहार कहते हैं।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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