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________________ अहमदाबाद जिला। [७ पूर्वीय सीमा में स्थापित रहा है, परंतु बौद्ध गुफाएं इस प्रांतकी सीमामें ही हैं । यह धर्म प्रांतके भीतर नहीं घुसा । यह माल्टम नहीं कि जनपने गुजरात में पैदा हुआ या कहींसे आया, किन्तु जहांतक हमारा ज्ञान जाता है यह प्रांत इस धर्मका बहुत उपयोगी घर व मुख्यस्थान रहा है । भारतमें जितनी धर्मोकी शकले हैं उन. सबमें शायद यह जैनधर्म सबसे पवित्र और उत्तम है “Of the Indian furms i religion it is, on the whole, perhaps the purest and the best ”. यह धर्म उस स्थूल व अमाननीय अन्धश्रद्धासे दूर है जो बहुधा शिव व विष्णुकी पूजाके साथ रहती है और न यह बहुत अधिक पुनारी माधुओंसे दबा हुआ है जैसा कि बौद्धधर्म मालम होता है । न इसका मुकाबला वेदांतके ब्राह्मणधर्मसे होसक्ता है निसको आर्य लोग अपने साथ भारतमें लाए। यह धर्म जैसा सुंदर व पवित्र है वैसा दूसरा नहीं मालूम होता है। There seems none other so elegant and pure. जबसे मुसलमानोंने गुजरातपर अधिकार किया उन्होंने इसके उखाड़नेकी शक्तिभर चेष्टा की, किन्तु यह बराबर जीता रहा तथा इसके माननेवाले अब भी बहुत हैं । जैनियोंकी चित्र. कला व शिल्पने अपनी सुन्दरताके कारण मुसल्मानोंपर असरडाला निससे उन्होंने इसको स्वीकार किया । अहमदाबादमें बहुतसी मुसल्मानोंकी इमारतों में जनकिताला झलकती है। अहमदावादका प्राचीन नाम करणवती था । अहमदशाहने सन् १४ १२ में इसका नाम अहमदावाद रक्खा । उस समय यहां
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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