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________________ गुजरातको इतिहास। [२०३ स्थापित की जो अब सिद्धपुरमें है। इसका चित्र राजमालामें दिया हुआ है। इस मंदिरका वर्णन मोलंकी और बाघेलके समयमें भी मिलता है। चावड़ गजा हुए। (१) वनराज ७८० तक २६ वर्षका पता नहीं फिर भाई (२) योगराज (०६ मे ८४१. फिर इसका पुत्र (३) क्षेमरान ८४१ मे ८८. फिर इसका पुत्र (४) चामुंड ८८० मे २०८, फिर इमका पुत्र (५) घघड ९०८ मे ९३७ (६) नाम अप्रगट ९३ ७ मे ९६१ तक । चालुक्य या सोलंकी-(९६४ मे १२४२ तक ) चावटोंक पीछे सोलंकियोंने राज्य किया । ये लोग जैनधर्म पालने थे इमीसे न लेखकोंने इनका वर्णन अच्छी तरह लिखा है । मोलंकियोंके सम्बन्धमें सबसे प्रथम लेग्वक श्री हेमचन्द्र आचार्य (० मन् १०८९-११७३) है। इन्होंने अपने द्वाश्रय काव्यमें सिद्धराज (११४३) तक वर्णन दिया है । इस काव्यको हेमचन्द्रने सन् ११६० में शुरू किया था, परन्तु इसकी समाप्ति अभय तिलकगणि (श्वे. माधु) ने १२५५में की थी l Aut: IV. 70 VI 131) ). अंतिम अध्यायमें केवल राजा कुमारपालका वर्णन है । अंतिम चावड़ा राजा भृभत हुआ था। उसके पीछे चावड़ा रानाकी कन्याके पुत्र मूलराजने राज्य किया । (१) मूलराज (९६१-९९६) भूभतकी बहनका तथा महाराजाधिराज राजी चालुक्यका पुत्र था । बहुत जैन लेखकोंने अनहिलवाडाका इतिहास मुलराजसे प्रारंभ किया है। यह सोलंकी
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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