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________________ गुजरातका इतिहास। [१८५ (४) समुद्रगुप्त बड़ा , ५०-७५ ३७०-३९५ (५) चन्द्रगुप्त द्वितीय , ७६-९६ ३९६-४१५ यह बड़ा राजा था। इसने मालवाको गुप्त सं० ८० व गुजरातको गुप्त मं० ९० व सन् ई० ४ १ ० में विजय किया था। (६) कुमारगुप्त-गुजरात व काठियावाड़में राज्य किया था । गुप्त सं० ९१-१३३ । ई० स० ४१६-४५३ (७) स्कंधगुप्त-गुजरात व कच्छ में राज्य किया था । गुप्त सं० १३३-१४९ । ई० स० ४५४-४७० इसने बहुत दिनोंसे विस्मृत अश्वमेध यज्ञको किया था । चंद्रगुप्त हि०, कुमारगुप्त व मध ब्राह्मणधर्म धारी थे। चंद्रगुप्त प्रथमने तिरहुतकी लिच्छवीवंशकी कन्याके माथ विवाह किया था । समुद्रगुप्तने अपनी मानाका नाम कुमारदेवी मिकोंमें लिया है (देखो कंधगुप्त जूनागढ़ लेख Iud. Ast. XIV) समुद्रगुप्तकी प्रशंमा अलाहाबाद के खबके लेखमें है (देखो J. R. I. S. XXI लाइन मातमें है कि इमने अच्युत नागसेनकी मेनाका विध्वंश किया । ला० १९-२० में है कि इसने नीचे लिग्वे प्रांतोंके गनाओं पर विजय पाई (१)कोशलका मनेन्द्र, (२) महाकांतार (रायपुर और छत्तीसगढ़के मध्य) का व्याघ्रराज, (३) कौराहा (केरल) का मुंडराग, (१) पैप्टपुर, महेन्द्रगिरी औसरका राजा स्वामीदत्त, (५) ऐरंग पल्लकका दमन, (६) कांचीका राजा विष्णु, (७) सायाव मुक्तका गना नीलराज, (८) वेंगीका हस्तिबर्मन, (९) पालकका उग्रसेन (१०) देवराष्ट्रका कुवेर, (११) कौस्थलपुरका धनंजय ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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