SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ M १८०] मुंबईप्रान्तके प्राचान जैन स्मारक। इसके पीछे १७ वर्षका इतिहास अप्रगट है। यूनान लोगोंने गुजरात पर सन् ई० से १८० वर्ष पूर्वसे १०० वर्ष पूर्व तक राज्य किया। उनके दो प्रसिद्ध राजा हुए, मीनन्दर और अपोलोदोतस, इनके सिके पाए गए हैं। क्षत्रपोंका राज्य-यहां सन् ई० ७० पूर्वसे सन् ३९८ तक रहा है । इसके वंशको शाहवंश भी कहते थे, जो सिंह वंशका अपभ्रंश है । इनको सेन महाराज भी कहते हैं । शिलालेखोंके अंतमें सिंहका चिन्ह है। काठियावाड़के क्षत्रपोंके वंशका वंश चासथना (सन् १३० ) से होता है, जिनके बड़े राना नहापन (सन् १२० ) और उनके जमाई शक उपभदत्त (रिषभदत्त) के नाम नामिकके शिलालेखोंमें आते हैं कि वे शक, पहलवी और यवनोंके मुखिया थे। कुशान मंवत (मन् ७८ ) को पश्चिमी क्षत्रपोंके पहले दो राजा चशथमा प्रथम और जयदमनने स्वीकार नहीं किया है जिससे प्रगट है कि वे कुशानोंसे पूर्वके हैं। क्षत्रपोंके दो वंश थे (१) उत्तरीय-जो काबुलसे जमना गंगा तक राज्य करने थे और (२) पश्चिमीय-जो अजमेरसे उत्तर कोंकण तक दक्षिणमें और पूर्वमें मालवासे पश्चिम अरब समुद्र तक राज्य करते थे। प्राकृत मिकों में नाम क्षत्रप, क्षत्रय व खतप मिलता है। ये लोग वास्तव में वैकादियाने भारतमें आए थे। यहां भारतीय धर्म और नाम धारण कर लिये। उत्तरीय क्षत्रपोंका राज्य सन ई० से ७० वर्ष पूर्व राजा
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy