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________________ धाड़वाड़ जिला। [ ११६ झोपड़ा कहते हैं। यहां यह विश्वास है कि विदेश भ्रमणमें पांडवोंने यहां निवास किया था। इसको शिलालेखोंमें विराटकोट, विराटनगरी, पानुन्गल भी लिखा है । पश्चिमी चालुक्योंके नीचे कादम्ब वंशके राजा यहां सन् १२०० तक राज्य करते थे फिर होयसाल राजा वल्लालने अधिकार जमाया। यहां एक पुराना किला है निममें कई पुराने जीर्ण जैन मंदिर हैं-इनमें शिलालेख भी हैं। एकमें पश्चिमी चालुक्य राजा विक्रमादित्य त्रिभुवनमल्लका लेख है। (४) लाकंडी-ता० गड़गमें एक प्राचीन महत्वका स्थान है। गड़ग शहरसे दक्षिण पूर्व ७ मील। यहां ५० मंदिर व ३५ शिलालेख हैं। ये सब जाखनाचार्यके बनवाए कहे जाते हैं । सबमें पुराना लेख सन् ८६८का है । सन् ११९२में होयसालराजा वल्लाल या वीरवल्लाल (११९२-१२११)ने अपनी राज्यधानी इसी स्थान पर की तब इसका नाम लक्कीगुंडी प्रसिद्ध था। यहीं बल्लालने यादव भिल्लानकी सेनाको हराया जो उसके पुत्र जैतुगीकी सेनापतित्वमें आई थी। ग्राममें दो जैन मंदिर हैं-पश्चिममें सबसे बड़ा है, इसमें बहुत बड़ी बैठे आसन जैन तीर्थकरकी मूर्ति । इससे थोड़ी दूर एक छोटा जीर्ण जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथजीका है, इस जैन मंदिरके चारों तरफ बहुतसे जैन मूर्तियोंके खंड पड़े हैं। एक जैन मंदिरमें ११७२का लेख है। बड़ा मंदिर बहत सुन्दर है, शिखर भी पूर्ण रक्षित है । सन् १०७०में चोल राजाने हमला किया था तब यहांके मंदिर व लक्ष्मणेश्वरके मंदिर नष्ट किये गए थे किन्तु फिरसे दुरुस्त किये गए थे। इस जैन मंदिरमें शिल्पकला बहुत सुन्दर है ऐसा फर्गुसन साहब कहते हैं।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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