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________________ मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (२३) धाड़वाड़ जिला । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है । उत्तरमें बेलगाम, बीजापुर । पश्चिममें निजाम और तुंगभद्रा नदी जो मदराससे जुदा करती है। दक्षिणमें मैसूर, पश्चिममें उत्तर कनड़ा। यहां ४६०२ वर्ग मील स्थान है । १९२ ] इसका इतिहास यह है । ताम्रपत्रोंसे यह बात प्रगट होती । है कि सन् ई० के एक शताब्दी पहले धाड़वाड़ के भागों में उत्तर कड़ाके वनवासी राजा लोग राज्य करते थे । वनवासीके अन्ध भृत्योंके पीछे गंग या पल्लव वंशके राजाओंने राज्य किया था, उन्होंने पूर्वीय कदम्बको स्थान दिया। कदम्ब एक जैन वंश था जिसने वनवासीमें छठी शताब्दी तक राज्य किया फिर पूर्वीय चालुक्यों और पश्चिमी चालुक्योंने ७६० तक, राष्ट्रकूटोंने ९७३ तक फिर पश्चिमीय चालुक्योंने १९६५ तक फिर कलचूरी वंशने १९८४ तक फिर होयसोलियोंने १२०३ तक फिर देवगिरि यादवोंने १२९५ तक । इसके मध्य में आधीन रहकर कादम्बोंने भी राज्य किया जिनके राज्य स्थान वनवासो और हांगल में थे । फिर मुसलमानोंने 1 अधिकार किया। कहते हैं कि हांगल में पांडवोंने निवास किया था । धाड़वाड़ गजेटियरसे यह मालूम हुआ कि कादम्ब जैन राजाओं का वंश था । जिनकी राज्यधानी वनवासी थी जो उत्तर मैसूर में हरिहरके पास उछंगी पर है, तथा बेलगाम में हालसो पर व धाड़वाड़ में त्रिपर्वत या त्रिगिरि पर थी। उनके ताम्रपत्र जो करजगी से पश्चिम ६ मील देवगिरि पर पाए गए हैं नौ राजाओं के नाम
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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