SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीजापुर जिला। [ १०३ अरसीबीडी-तालुका हुनगंडमें एक ध्वंश नगर-हुंनगडसे दक्षिण १६ मील । यहां प्राचीन चालुक्य राज्यधानी थी जिसका नाम विक्रमपुर था जिसको महान विक्रमादित्य चतुर्थने (१०७६११२६) में स्थापित किया था। उसके समयमें पश्चिम चालुक्य ९७३--११९०) बहुत उन्नतिपर थे। कलचूरियोंने ११५१में लेरिया तब भी यह एक महत्वका स्थान था। यहां दो ध्वा जैन मदिर हैं, दो बड़े चालुक्य और कलचूरी वंशके शिलालेख पुरानी कनडीमें हैं। (२) वादामी-ता० वादामी, एम० एम०रेलवेपर स्टेशन । यह म्थान इस लिये प्रसिद्ध है कि यहां एक जैन गुफा सन ई० ६५० की है व तीन ब्राह्मण गुफाएं हैं। जिनमें एकमें शिलालेख सन् ई० ५७९का है। जैन गुफा ३१ फुट लम्बी व १९ फुट चौडी है। ता० १ जून १९२३को हमने वादामीकी यात्रा की थी । गुफाके नीचे एक बडा रमणीक सरोवर है । यह जैन गुफा बहुत ही सुन्दर व अनेक अखडित दि. जैन मतियोंसे शोभित है । यह गुफा ५ दरकी है-इसके ४ स्तम्भ हैं । जो चौकोर हैंस्तम्भोंपर फूलपत्ती व गृहस्थ स्त्री पुरुष बने हैं । गुफाके बाहर पूर्व मुख १ प्रतिमा श्री महावीरस्वासकी पल्यंकासन है १ हाथ उंची। एक तरफ यक्ष है, दो चमरेन्द्र हैं, तीन छत्र हैं । सामने भीतपर सिंह व हरएक कोनेके ऊपर व स्तंभपर सिंह है। वास्तवमें यह गुफा श्री महावीरस्वामीकी भक्तिमें अपनी वीतरागताको झलका रही है । भीतर जाकर बाहरी दालानमें पूर्वमुख भीतपर श्री पार्थनाथ कायोत्सर्ग ५ हाथ ऊंचे फणसहित, १ चमरेन्द्र खड़े, १ बैठे
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy