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________________ वीजापुर जिला। दि. जैन मूर्तियां अखंडित और पूज्य हैं ( परंतु कोई पूजा करनेवाला नहीं ) इस दालानकी छतपर बहुतसे स्वस्तिक बड़ी कारीगरीसे रचे गए हैं । कमलोंके भीतर व बाहर छतपर अपूर्व शोभा है । इस गुफाका न० ७० है । नीचे ग्राममें वीरुपक्ष मंदिरके सामने तीन दि जै। मंदिर हैं। एकमें श्री पार्श्वनाथजीकी मूर्ति २॥ हाथ पद्मासन अखंडित विराजमान है। यहां एक चरन्ती मठ कहलाता है। यहां कई दि. जैन मंदिर हैं। एक हातेमें ६ मंदिर हैं, एक एक हारपर बारहबारह मूर्ति स्थापित हैं-१ वेदीमें २ हाथकी ऊंची मूर्ति है। " Fergusson cave temyles of India 1886," में यहांकी जैन गुफाका हाल यह दिया है कि बरामदा ३२ फुटसे १७॥ फुट है जिसके चार चौकोर म्तम्भ हैं । इसकी भीतरकी वाई तरफ श्री पार्श्वनाथ फणहित वादामीके सामान है । दाहनी तरफ श्री बाहुबलि हैं। वेदीका मंदिर ८ फुट ३ इंच चौकोर है यहां एक तीर्थकरकी पल्यंकासन मूर्ति वदामीके समान है । बीचके कमरेमें श्री महावीर स्वामी हैं और दूसरी मूर्तियां हैं व हाथी हैं जो उनके नमस्कार करनेको आए हैं। यहांपर अवश्य कोई ऐतिहासिक घटना है। " Archealojical survey report 1907-8 " में यहांके मेघुती दि. जैन मंदिरका वर्णन इस भांति दिया है जो जानने योग्य है ऐहोल एक प्राचीन नगर है। बादामी प्टेशनसे १४ मील व कटगेरीसे १०-१२ मील है। यह तेरह शताब्दियों तक
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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