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________________ ... लेखाङ्क:-१८॥ २५ रिप्रवर्तावक कुयित जहांगीरसाहिरंजकतत्स्वमण्डलवहिष्कृतसाधुरक्षकयुगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि मंत्रिकर्मचंद्रकारितसपादकोटिवित्तव्ययरूपनदिमहोत्सवप्रकारकठिनकाश्मीरादिदेशविहारकारक श्रीअकचरसाहिमनःकमलभ्रमरानुकारक वर्षावधिजलधिजलजंतुजातघातनिवर्तक श्रीपुरगोलकुंडागज्जणाप्रमुखदेशामारिप्रवर्तकसकलविद्याप्रधानजहांगीरनूरदीनमहम्मदपातिसाहिप्रदत्तयुगप्रधानपदश्रीजिनसिंहमूरि पट्टालंकारकश्रीअंबिकावरधारकतदलवाचितघंघाणीपुरप्रकटितचिरंतनप्रतिमाप्रशस्तिवि-]तरवोहित्थवंशीय सा० धर्मसी धारलदे दारक चतुःशास्त्रपारीणधुरीणशृंगारकभट्टारकर्टदारक श्रीजिनराजसूरिसूरिशिरो मुकुटैः ॥] आचार्य श्रीजिनसागरसूरि । श्रीजयसोम महोपाध्याय श्रीगुणविनयोपाध्याय श्रीधर्मनिधानोपाध्याय पं० आनंदकीर्ति स्वलघुसहोदरवा० [भद्रसेनादिसत्परिकरैः ॥] __ (एपिग्राफि इण्डिका-२६६२) (१८) संवत् १६७५ प्रमिते सुरताणनूरदीनजहांगीरसवाईविजयराज्ये साहिजादा सुरताणपोस[रू]प्रवरे राजनगरे सोवइसाहियान सुरताणपुरमे ।। वैशाख सित १३ शुक्रे । श्रीअहम्मदावादवास्तव्य प्राग्वाटजातीय से० देवराज भार्या [रू]डी पुत्र से गोपाल भा० राज पु० से राजा पु० साईआ भा० नाकू पु० सं० जोगी भार्या जसमादे पुत्ररत्न० श्रीशचॅजयतीर्थयात्राविधानसमाप्तसंघपतितिलकनवीनजिनभवनविवप्रतिष्ठासाधर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रोप्तस्ववित्त सं० सोमजी भार्या राजलदे कुक्षिरत्न संघपति [ डू ]पजीकेन पितृव्य सं० शिवा स्वदृद्धभात रत्नजी सुत सुंदरदास सपर लधुभ्राद
SR No.010442
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages592
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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