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________________ २५२ प्राचीनजैनलेखसंग्रहे (४०४) - (1) ओं संवत् १२६५ वर्षे श्रीनाणकीयगच्छे धर्कटगोत्रे आसदेव तत्सुत जागू ___(2) भार्या थिरमती तत्सुतो गाइडस्तस्य भार्या सातू । तत्पुत्र आजमादि . () समूर्तिका लगिकां कारयामास | (४०५) (1) ओं ॥ संवत् १२६५ वर्षे धर्कटवंशे श्राद्ध आसदेव भायो सुखमनि तत्सुत घांधा भायों जिणदेवि तत्पुत्राः पंच गोसा (2) काल्हा राल्हण खावसीह पाल्हण प्रमुखा गोसापुत्र आम्रवीर यामजल काल्दा पुत्र लक्ष्मीधर महीधर राहणपुत्र (3) शाखेशूर खावसीह पुत्र देवजस पाल्दणपुत्र घणचंडा दधवंदे स्वकलन समन्विताः स्वयोर्य स्तंभलता मिमां (4) कारयामास । (४०६) (1) ओं संवत् १२६५ वर्षे श्रे० साधिगमा माल्दी तत्पुत्रा - आवीर बदाक आवधराः
SR No.010442
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages592
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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