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________________ १४४ प्राचीन जैनलेखसंग्रहे सिंह विजपाल वीदाकैर्भ्रातृ खिमधर भार्या खेतलदेवी श्रेयसे कारितं ॥ ( २३५ ) ( पुरुष ) माघ सुदि ७................. (स्त्री) महं० सुहागदेवी । (स्त्री) मह० गुणदेवी सत्कमूर्ति सा० वीजडकारापितं ॥ (पुरुष) सा० सुहणसिंह सत्कमूर्ति सं ० १३९८ ॥ (स्त्री) महं० वासक्षेप " L $21. ( २३६ ) संवत् १६६१ वर्षे आसो सुदि ११ दिने वार शुक्रे ओसबालज्ञातीय सा० मुला संघवी रूपा राउत कचरा जगमाल श्रीसीरोद्दीनगरवास्तव्यैः श्री अर्बुदाचलचैत्ये युगप्रधान भट्टारक श्रीश्रीश्रीहीरविजयसूरिस्थापित महोपाध्याय श्रीलब्धिसागर .... .......... 1.0.0 L GOGO ( २३७ ) संवत् १३३८ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ सोमे मांडव्यपुरीय संघ० देसल सुत संघ० गोसल तथा सा० भीमा सुत संघ० महणसींह तथा सं० गोसलसुत संघ० वनसींह तथा संघ० महणसिंह सा०
SR No.010442
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages592
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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