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________________ (९) संक्षिप्त जीवनचरित्रस्व० सेठ किसनदास पूनमचन्दजी कापड़िया-सूरत। करीब सवासौ वर्षकी बात है कि गंगराड ( मेवाड़) निवासी वीसा हुमड़ दि.जैन श्रीमान् हरचंद रूपचंदजी अपनी आर्थिक स्थिति ठीक न होनेसे नौकरीके लिये सूरत आये थे। सूरतमें उनने प्रमाणिकता पूर्वक नौकरी की। उनके पुत्र पुनमचंद हुये। उनका लालनपालन साधारण स्थितिमें हुआ था। बड़े होनेपर उनने अफीमका व्यापार प्रारम्भ किया । श्रीमान् पुनमचंदके दो पुत्र थे-एक कल्याणचंद और दूसरे किसनदास । श्रीमान् कल्याणचंदजीके मात्र एक पुत्री ( श्रीमती काशीबाई ) हुई थी, जो भारत० दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बईके भूतपूर्व महामंत्री स्व. सेठ चुन्नीलाल हेमचंद जरीवालोंकी धर्मपत्नी हैं। श्री० किसनदासजीका जन्म विक्रम सं० १९०८ की आश्विन वदी ८ को सूरत में हुआ था। उससमय कौटुम्बिक स्थिति साधारण ही थी और आपकी अल्पावस्थामें ही आपके पिताजीका स्वर्गवास होगया था । इसलिये गृहस्थीका सारा भार आपपर ही आपड़ा । इसी लिये आप चौथी गुजरातीसे आगेका ज्ञान प्राप्त नहीं कर सके। श्री० किसनदासजी कुछ दिनतक तो अपने पिताजीकी अफीमकी दुकान देखते रहे और फिर बम्बई जाकर मोती
SR No.010439
Book TitlePatitoddharaka Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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