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________________ पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास लेकिन आज स्थिति बहुत परिवर्तित है। समाज के अधिकतर लोग न तो खेती करते है और न ही व्यापार । सामान्यत इस जाति के लोग सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवाग्रो मे सलग्न है। फिर भी जगरौठो तथा मुरैना क्षेत्र के कुछ पल्लीवाल अव भी खेती करते है तथा कुछ व्यापार मे सलग्न है। कन्नौज मे रहने वाले अधिकतर पल्लीवाल व्यापार करते है। पल्लीवाल लोगो की आर्थिक स्थिति समान्यत ठीक ही रही है। प्रार्थिक स्थिति कभी खराव रही हो, ऐसा प्रतीत नही होता है। ग्यारहवी शताब्दी से लेकर चोदहवी शताब्दी तक पल्लीवालो की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रही थी। अठारहवी शताब्दी से आगे भी आर्थिक स्थिति ठीक रही है। वर्तमान मे इस जाति के लोग सामान्यत मध्यमवर्गी है। समय-समय पर समाज के लोगो का राजनैतिक क्षेत्रो मे भी प्रभाव रहा है। ग्यारहवी शताब्दी मे चन्द्रवाई का शासक चन्द्र. पाल था। सोलहवी शताब्दी तक चन्द्रवाई की राज्य-व्यवस्था में पल्लीवालो का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है । अठारहवी-उन्नीसवी शता. ब्दी मे इस जाति का पूर्वी राजस्थान की राजनीति मे बहुत हिस्मा रहा। यहाँ के विभिन्न राज्यो मे कई पल्लीवाल दीवान तथा प्रधानमन्त्री पद पर आसीन थे। देश के स्वतत्रता-पादोलन मे भी इस जाति के लोगो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । (45) धार्मिक क्षेत्र मे पल्लीवाल__विभिन्न परिस्थितियो मे भी जाति के लोगो ने धर्म से अपना नाता कभी नहीं तोडा। हमेशा ही यह जाति जैन धर्मानुयायी रही है। विभिन्न व्यक्तियो ने समय समय पर कई जैन मूर्तियो की प्रतिष्ठाएँ कराई तथा मन्दिरो के निर्माण कराये। सबसे
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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