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________________ पल्लीवाल जाति का समाज दर्शन 61 छिन्दवाडा की तरफ से आया । छिन्दवाडा से आने वाले लोग लेधीखेडा, सावगा ( तहसील - रगोसर, जिला छिन्दवाडा, मप्र ) पारशिवनी ( तहसील - रामटेक, जिला नागपुर ) में रहने लगे । पहले पल्लीवालो की संख्या (1) कोढाली, ढाणेगांव और कुछ पडौस के गाँवो में, तथा ( 2 ) लेधीखेडा, सावगा, खैरी, खापा, पारशिवनी में ही थी । कालान्तर मे नागपुर 'मध्य प्रान्त और बहाड' की राजधानी होने के कारण यहाँ पर कुछ लोग रहने लगे। कुछ लोगो ने नागपुर से दस मील दूर स्थित 'कामठी' नामक नगर मे रहना प्रारम्भ कर दिया । श्राज मुख्यत कोढाली, नागपुर, कामठी पारशिवनी, खेरी, सावगा, लेधीखेडा तथा धरणे गॉव, इन आठ नगरो मे पल्लीवाल समाज के घर है। नौकरी तथा अन्य व्यवसाय के निमित्त इन गाँवो से बाहर गये हुए लोग वर्धा, जबलपुर, बालघाट, भोपाल, रायपुर, बम्बई, विशाखापट्टम गोदिया मादि नगरो में भी रहते है । , यहाँ पल्लीवालो के 125-150 मकान है। विदर्भ विभाग के पल्लीवालो मे 12 गोत्र पाये जाते है । 'उमाठे' कुलनाम वाले पल्लीवालो की सख्या अधिक है । कुलनाम इस क्षेत्र मे बसने के बाद रखे गये है । कुलनाम तथा गोत्रो की सूची नीचे दी गई है । यहाँ के लोगो को मातृ भाषा मराठी है। खान-पान तथा रहन-सहन भी मराठी है । प्रार्थिक स्थिति मध्यमवर्गी है । शिक्षा का प्रसार है किन्तु व्यवसाय की प्रवृत्ति अधिक है । समाज मे कई डॉक्टर, इजीनियर, प्राध्यापक तथा वकील है। स्त्री शिक्षा पहले बहुत कम थी, लेकिन अभी स्त्रियाँ भी काफी पढने लगी है। अधिकतर लोग व्यापार तथा सेती करते है । पल्लीवाल
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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