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________________ पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास बिम्ब कारित एव चन्द्र गच्छीय श्री हरिप्रभसूरि शिष्य श्री यशोभद्र सूरि द्वारा प्रतिष्ठित जैन मदिर में विराजमान है। (जैसलमेर नाहर लेखाक---1178) (4) प्रहमदाबाद-वि स 1327 फा शु 8 को चौमुखा जिना लय मे पल्लीवाल कुमरसिह भार्या कुमरदेवी के पुत्र सामन्त पत्नी शृ गार देवी के श्रेयार्थ उनके पुत्र ठ० विक्रमसिह, ठ० लूण, ठ० सागा के द्वारा कारित एव बडगच्छीय श्री चन्द्रसूरि शिष्य श्री माणिक्य सूरि द्वारा प्रतिष्ठित एक मोटी धातु पचतीर्थी विराजमान है। (जे० धा०प्र० ले० 137) (5) हरसूली-वि स 1445 फा० कृ० 10 रविवार की श्री हारी जग० पल्ली० श्रोष्ठि भूभा भार्या पाल्हणदेवी पूज़ के पुत्र कन्न्, हापा द्वारा स्वमाता-पिता के श्रेयार्थ कारित एव श्री शीलभद्र सूरि द्वारा प्रतिष्ठित श्रीमहावीर धातु प्रतिमा पचतीर्थी श्री पार्श्वनाथ जिनालय में विराजमान है । [प्रतिष्ठ लेख संग्रह (विनय सागर जी) ले० 170] (6) लाडोल-वि स 1326 चैत्र कृ०12शुक्रवार को पत्ली० श्रेष्ठि धनपाल द्वारा कारित एव चित्रावाल गच्छीय श्री शालिभद्र सूरि शिष्य श्री धर्मचन्द सूरि द्वारा प्रतिष्ठित श्री शान्तिनाथ एव श्री अजितनाथ धातु प्रतिमा एक जिनालय मे विगजमान है। (जै० प्र० लि० स० भा० 10 ले० 462) 47) राधनपुर- वि स 1355 वैशाख कृष्ण X की श्री हारीज गच्छीय पल्लीश्र० जदूता के श्रेयार्थ उनके पुत्र द्वारा कारित
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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